फिल्म- दंगल
डायरेक्टर- नितेश तिवारी
स्टार कास्ट- आमिर खान, साक्षी तंवर, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, जायरा वसीम और सुहानी भटनागर
संगीत निर्देशक- प्रीतम
अवधि- 2 घंटा 41 मिनट
रेटिंग- 4.5 स्टार
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्टनिस्ट आमिर खान की फिल्म 2014 में पीके आई थी जो ब्लॉकबस्टर हिट थी। अब पूरे 2 साल बाद आमिर खान ने असल जिंदगी से प्रेरित फिल्म 'दंगल' बनाई है जो हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगाट की बायोपिक है।
आइये देखते है कैसी है ये फिल्म ....
‘एम एस धोनी..’, और ‘सरबजीत’ ऑस्कर सूची में शामिल
कहानी-
कहानी शुरू होती है हरियाणा के छोटे से गांव के भूतपूर्व रेसलिंग चैंपियन महावीर सिंह फोगाट (आमिर खान) से। महावीर का सपना भारत के लिए स्वर्ण पदक जितने का था मगर किन्ही कारणों से वो पूरा नहीं हो पाता है। ये सपना वो अपने बेटों से पूरा करवाने की ठानता है। लेकिन बेटे की चाहत में वो चार बेटियों का पिता बन जाता है। महावीर की पत्नी शोभा कौर (साक्षी तंवर ) भी पति के सपने तो टूटता देख दुखी होती है। महावीर हताश हो जाता है। एक दिन महावीर की बेटियां गीता (जायरा वसीम) और बबिता (सुहानी भटनागर) छेड़खानी करने वाले लड़कों की पिटाई करके आती हैं तो महावीर को यकीन हो जाता है कि उसकी बेटियां भी वह काम कर सकती हैं जो बेटे कर सकते हैं।
उसे बेटियों में उम्मीद की किरण नज़र आने लगती है। और महावीर अपने सपने को पूरा करने और अपनी बेटियों को पहलवान बनाने के लिए महावीर कमर कस लेता है। और बेटीयों का कोच बन उनकी कठिन ट्रेनिंग शुरू कर देता है। ये काम इतना भी आसान नहीं था। इस जद्दोजहद में उसे और बेटियों को कई परीक्षओं से गुज़रना पड़ता है। तभी फिल्म में कई टर्न और ट्विस्ट आते है। फिल्म का अंजाम देखने के लिए तो आपको सिनेमाघर तक जाना ही पड़ेगा।
स्क्रिप्ट-
फिल्म की पटकथा लाजवाब है। असली ज़िन्दगी को शब्दों में पिरोने में बहुत ही बारीकी से काम किया गया है जो काबिले तारीफ है। फिल्म की कहानी आपको अंत तक बांधे रखती है। महावीर के बारे में सब कुछ पता होते हुए भी आप एक सीने मिस नहीं करना चाहेंगे। फिल्म के सेकंड हाफ और दिसचस्प हो जाता है। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है वैसे वैसे आप कहानी से जुड़ते जाते है। एक बार तो ऐसा लगता है जैसे स्टेडियम के भीतर बैठे हैं और सामने मैच चल रहा है। और आप एक कैच मिस नहीं करना चाहेंगे।
फिल्म के डायलॉग्स समय समय पर आपको गुदगुदाते है तो आपकी आँखों को भी नम कर देते है। खास तोर पर लड़के-लड़की के बीच अंतर करने वालों के लिए एक बड़ा सबक है। जो पुरे समाज के लिए मैसेज है।
निर्देशन -
निर्देशक नीतेश तिवारी ने पीयूष गुप्ता, श्रेयस जैन, निखिल मेहरोत्रा के साथ मिलकर इस महागाथा को रोचक, प्रेरक और रोमांचक तरीके से पेश किया है। फिल्म का निर्देशन बेमिसाल है। डायरेक्टर नितेश तिवारी ने हर एक सीने को बारीक से परखा है। गांव की पृष्टभूमि पर बनी फिल्म में पूरा देशी फ्लेवर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हरियाणा जैसे इलाके में लिंगभेद सबसे ज्यादा रहा है। वहां लड़कियां सिर्फ गाय, गोबर और चूल्हा-चौका संभालने तक सीमित मानी जाती हैं।
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ऐसे में गीता-बबीता को बचपन से लेकर जवानी तक किन चुनौतियों से रूबरू होना पड़ता हैं। जिसे बहुत की रियलिटी और खूबसूरती के साथ पर्दे पर उतरा गया है। 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स और बाकी वर्ल्ड चैंपियनशिप को दिखाने में जो वीएफएक्स का इस्तेमाल हुआ है, वह उच्चस्तरीय एहसास देता है।
एक्टिंग -
फिल्म की स्टारकॉस्टिंग का सिलेक्शन बहुत ही बढ़िया रहा ये फिल्म देखने के बाद पता चलता है। हर बार की तरह आमिर अपने किरदार में उतरने नज़र आये। अपनी भूमिका को निभाने में आमिर में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म को लेकर उनकी दो साल की म्हणत साफ़ नज़र आती है। वजह बढ़ाने से घटाने तक के उक्त कठिन परिश्रम व्यर्थ नहीं जायेगा। फिल्म में आमिर खान ने अपने किरदार की ऐज जर्नी को भी ईमानदारी से दिखाया है। वही पत्नी के रूप में साक्षी तंवर भी परफेक्ट नज़र आयी। इस बार भी उन्होंने अपनी उम्दा एक्टिंग की मिसाल दी है। बेटियों के रूप में फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, जायरा वसीम और सुहानी भटनागर ने भी सुपर परफॉर्मेंस दी है।
संगीत -
फिल्म का गीत-संगीत असरदार और कहानी को आगे बढ़ाने वाला है। फिल्म का गाना हानिकारक बापू और 'धाकड़ है' गाना बी हूत ही असरदार और सिच्युशेन के अनुसार और परफेक्ट है। फिल्म का बैक स्कोर भी कहानी के अनुरूप है।
क्यों देखे -
आमिर खान के फैन है और ऑफबीट फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले फिल्म ज़रूर देखे। एक पारिवारिक फिल्म है पुरे परिवार के साथ देखी जा सकती है। क्रिसमस की छुट्टी दंगल के साथ फुल एन्जॉय करे। ये फिल्म सिर्फ कहानी नहीं पूरे समाज के लिए एक सन्देश है। शार्ट में कहे तो फुल पैसा वसूल फिल्म है।
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