गांधीनगर। गुजरात सरकार ने निजी स्कूलों की ओर से फीस लेने में मनमानी तथा डोनेशन पर नकेल कसते हुए एक ऐसा कानून विधानसभा में पारित किया। जिसमें प्राथमिक स्कूलों के लिए एकमुश्त सालाना 15 हजार, माध्यमिक के लिए 25 हजार तथा उच्चतर माध्यमिक यानी हायर सेकंडरी स्कूलों के लिए 27 हजार की रकम तय कर दी।
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राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूडासमा ने बताया कि गजरात स्वनिर्भर शाला फी नियमन विधेयक में इस सीमा से अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को पहली गलती पर पांच लाख, दूसरी गलती पर दस लाख का दंड देना होगा जबकि तीसरी गलती पर उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस तरह की अनगिनत शिकायते मिली थी कि ऐसे स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं और अभिभावकों पर किसी खास स्थान से जूते, पोशाक और किताबे खरीदने का भी दबाव बनाते हैं और डोनेशन भी वसूलते हैं। उन्होंने कहा कि कानून में ऐसी बातों को गैरकानूनी बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि कानून में तय फीस में सभी तरह के शुल्क शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा का खर्च उठाने में कठिनता अनुभव करने वाले मध्यम वर्ग को खासी राहत मिलेगी।
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श्री चूडासमा ने बताया कि इस मामले में शिकायते लेने और इनकी जांच तथा अन्य संबंद्ध मामलों की सुनवाई के लिए चार क्षेत्रों अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट में चार समितियों का गठन करेगी।- वार्ता
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