नई दिल्ली। भारत न सिर्फ मधुमक्खी पालन में तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है बल्कि वह मधुमक्खियों को पालने के दौरान इस प्रक्रिया में प्राप्त होने वाले मधुमक्खियों के डंक, बी वेनम और पोलन पराग इत्यादि के जरिये कैंसर और एड्स सहित कई गंभीर रोगों की दवाइयां विकसित करने की दिशा में भी तेजी से अग्रसर है।
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राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड की कार्यकारिणी के सदस्य तथा निजी कंपनी हाईटेक नेचुरल प्रोडक्ट्स इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक देवव्रत शर्मा ने बताया, "मधुमक्खी के डंक, प्रोपोलिस मोमी गोंद और पोलन पराग का इस्तेमाल आज दुनिया के तमाम देशों में कैंसर, एड्स, आर्थराइटिस जैसे कई गंभीर रोगों के इलाज में किया जा रहा है और भारत न केवल मधुमक्खी पालन के जरिये शहद निर्यात के क्षेत्र में काफी आगे है बल्कि इसके अवयवों का उपयोग गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए करने की ओर भी तेजी से अग्रसर है।"
उन्होंने कहा कि आज इन उत्पादों का भारत में करीब 1,000 करोड़ रुपये का बाजार है जिसमें अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व है और वे अपने उत्पाद देश में एक बड़े नेटवर्क के जरिये और एमेजन और फ्लिपकार्ड से बेच रही हैं लेकिन बहुत जल्द देश उस दिशा की ओर बढ़ रहा है जहां वे बाहरी कंपनियों के इस दबदबे को गंभीर चुनौती देने जा रही है बल्कि उन उत्पादों की तुलना में देश में बने उत्पाद कहीं अधिक प्रभावशाली साबित होने वाले हैं।
शर्मा ने कहा, ‘‘देश में आज 90,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हो रहा है जो उत्पादन वर्ष 1991 में 200 टन से 400 टन के बीच होता था। लेकिन आज हमारा देश मधुमक्खीपालन में विश्व में पांचवें स्थान पर है। इसमें शहद निर्यात लगभग 500 करोड़ रुपये का होता है और देश से करीब 40 हजार टन का निर्यात होता है।’’
शर्मा ने कहा कि मधुमक्खी पालन के जरिये खेती के संदर्भ में परागण क्रिया तेजी से होती है जिससे पैदावार में भारी बढोतरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये उत्पादन में कई गुना तक वृद्धि होने की संभावना रहती है जो खेती योग्य जमीन की कमी और बढ़ती आबादी के मद्देनजर काफी उत्साहजनक है।
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन् मोदी का खेती के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने पर जोर देना संभवत वर्ष 2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने के मंतव्य से प्रेरित है। देवव्रत शर्मा ने कहा कि मौजूदा सरकार मधुमक्खी पालन पर विशेष जोर दे रही है और सक्रिय भूमिका निभा रही है। आज हर राज्य में एकीकृत मधुमक्खीपालन विकास केन् आईबीडीसी की स्थापना की गई है जिसका एक केन् दिल्ली के पूसा संस्थान में भी है।
उन्होंने कहा, " मधुमक्खी पालन के जरिये न केवल हम दलहन और तिलहनों की कमी की स्थिति को समाप्त कर सकते हैं बल्कि आने वाले वर्षो में हम इन जिन्सों के निर्यातक देश हो सकते हैं।"- भाषा
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