जयपुर के राजा सवाई जयसिंह को थी खगोल विज्ञान में दिलचस्पी, पांच वेधशालाओं का कराया निर्माण

Samachar Jagat | Saturday, 06 May 2017 10:32:32 AM
King Sawai Jai Singh of Jaipur was interested in astronomy

जयपुर। जयपुर के राजा सवाई जयसिंह को खगोल विज्ञान में गहरी दिलचस्पी थी, उन्होंने प्राचीन खगोलीय यंत्रों और जटिल गणितीय संरचनाओं के माध्यम से ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध अप्रतिम जंतर-मंतर वेधशाला का निर्माण कराया।

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इस वेधशाला का निर्माण कराने से पहले उन्होंने विश्व के कई देशों में अपने सांस्कृतिक दूत भेजकर वहां से खगोल-विज्ञान के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियाँ मंगवाईं और उन्हें अपने पोथीखाने (पुस्तकालय) में संरक्षित कर अपने अध्ययन के लिए उनका अनुवाद भी करवाया।

पांच वेधशालाओं का कराया निर्माण :-

महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने हिन्दू खगोलशास्त्र में आधार पर देश भर में पांच वेधशालाओं का निर्माण करवाया। ये वेधशालाएं जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बनवाई गई। इन पांच वेधशालाओं में आज केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही शेष बचे हैं, बाकी काल के गाल में समा गई हैं।

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ये यंत्र भी हैं जंतर-मंतर की शान :-

जंतर-मंत्र में स्थित यन्त्र आज भी सही सलामत अवस्था में हैं जिनके द्वारा हर साल वर्षा का पूर्वाभास तथा मौसम संबंधी जानकारियां एकत्रित की जाती हैं। यंत्रों के सही सलामत होने के कारण ही यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया है। यहां के प्रमुख यंत्र हैं उन्नतांश यंत्र, दक्षिणोदक भित्ति यंत्र, दिशा यंत्र, षष्ठांश यंत्र, जयप्रकाश यन्त्र, नाडीवलय यन्त्र, ध्रुवदर्शक पट्टिका, लघु सम्राट यंत्र, राशिवलय यन्त्र, चक्र यंत्र, रामयंत्र,दिगंश यंत्र। आज भी जयपुर की वेधशाला में उपस्थित यंत्रों के द्वारा की गई गणनाओं के आधार पर यहां का पंचांग तैयार किया जाता है।

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