नई दिल्ली। टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री और कंपनी के मौजूदा नेतृत्व के बीच वाक्युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। साइरस मिस्त्री रतन टाटा और टाटा संस पर एक के बाद एक वार किए जा रहे। हाल ही में मिस्त्री ने अब कहा है कि यह कहना गलत और शरारत भरा है कि उन्होंने टाटा.डोकोमो मामलें में जो कार्रवाई की वह अपनी मर्जी से की और रतन टाटा को उसकी जानकारी नहीं थी।
मिस्त्री का कहना है कि डोकोमो मुद्दे को जिस ढंग से लिया गया वह टाटा समूह की संस्कृति और मूल्यों से मेल नहीं खाता था। डोकोमो सौदे के बारे में सभी निर्णय टाटा संस के निदेशक मंडल की स्वीकृति से ही लिए गए थे और सभी कदम सामूहिक रूप से लिए जाने वाले निर्णयों के अनुरूप हैं।
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मिस्त्री ने इस तरह की बातों को भी खारिज किया है कि डोकोमो के खिलाफ जिस ढंग से मुकदमा लड़ा उसे रतन टाटा शायद मंजूर नहीं करते। बयान के मुताबिक मिस्त्री ने हमेशा कहा कि टाटा-समूह को कानून के अनुसार अपनी सभी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए।
जाहिर है कि जापान की टेलेकाॅम कंपनी डोकोमो का टाटा समूह के साथ शेयरों के भुगतान को लेकर मुकदमा चल रहा है। डोकोमो ने नवंबर 2009 में टाटा टेलीसर्विसेज में 26.5 प्रतिशत हिस्सेदारी ली थी। उस समय प्रति शेयर 117 रुपये के भाव पर सौदा 12,740 करोड़ रुपये का था। उस समय यह सहमति हुई थी कि पांच साल के अंदर कंपनी छोड़ने पर उसे अधिग्रहण की कीमत का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान वापस किया जाएगा। डोकोमो ने अप्रैल 2014 में कंपनी से अलग होने का निर्णय किया और 58 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 7,200 करोड़ रुपये की मांग रखी। लेकिन टाटा समूह ने उसे रिजर्व बैंक के एक नियम का हवाला देते हुए 23.34 रुपये प्रति शेयर की दर से भुगतान की पेशकश की।
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आपको बता दें कि आरबीआई के नियम के अनुसार कोई विदेशी कंपनी यदि निवेश से बाहर निकलती है तो उसे शेयर पूंजी पर लाभ के आधार पर तय कीमत से अधिक का भुगतान नहीं किया जा सकता। जापानी कंपनी अंतरराष्ट्रीय पंच निर्णय प्रक्रिया में चली गई और उसके पक्ष में 1.17 अरब डॉलर की डील हुई है। टाटा संस ने कहा है कि वह पंचनिर्णय के अनुपालन का विरोध करेगी क्यों कि वह भारत के स्थानीय कायदे कानूनों से बंधी है।
एक जारी किए गए बयान के तहत मिस्त्री का कहना है कि उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने डोकोमो से अनुरोध किया कि वह इस मामले में उसके साथ मिल कर रिजर्व बैंक से अनुमति मांगे पर डोकोमो इस पर तैयार नहीं हुई।
फिलहाल टाटा समूह ने रिजर्व बैंक से मंजूरी के लिए आवेदन दिया था मगर मंजूरी नहीं मिली तथा डोकोमो अंतरराष्ट्रीय पंचनिर्णय मंच में चली गई। टाटा समूह ने ब्रिटेन के पंचनिर्णय अदालत के फैसले को चुनौती देने के बजाय रिजर्व बैंक से फैसले की राशि का भुगतान करने की अनुमति मांगी है। लेकिन आरबीआई ने उसे फिर इनकार कर दिया।
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