मुंबई। साइरस मिस्त्री के हटाए जाने के बाद से जारी टाटा समूह की जंग और तेज हो गई है। लगातार मिस्त्री के हमले झेल रहे रतन टाटा ने मंगलवार को उन पर पलटवार किया है। टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन रतन ने कहा है कि समूह की भावी सफलता के लिए साइरस का हटाया जाना बेहद जरूरी था।
इससे पूर्व मिस्त्री ने अपने हमले तेज करते हुए आरोप लगाया कि डोकोमो से जुड़े विवाद को लेकर लिए गए हर फैसले में रतन भी शामिल थे।रतन और सायरस के बीच झगड़े की जड़ में जापान की एनटीटी डोकोमो के साथ समूह का कानूनी विवाद है। समूह का आरोप है कि मिस्त्री इस मामले को ठीक से संभाल नहीं पाए।
रतन ने भी कहा कि साइरस ने जिस तरह से इस विवाद को निपटाने की कोशिश की वह टाटा समूह की संस्कृति और मूल्यों के हिसाब से बिल्कुल नहीं था। इस कानूनी लड़ाई ने समूह पर 7,800 करोड़ की चपत लगाई है। लंदन की अदालत ने हाल ही में आदेश दिया है कि टाटा संस यह हर्जाना डोकोमो को अदा करे।
रतन टाटा ने समूह के साढ़े छह लाख कर्मचारियों को पत्र लिखकर कहा है कि टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस को हटाने का फैसला पूरी तरह सोच-समझकर लिया गया था। निदेशक बोर्ड के सदस्यों के लिए यह बेहद कठिन निर्णय था। बोर्ड को जब इस बात का पक्का भरोसा हो गया कि भविष्य में समूह की कामयाबी के लिए मिस्त्री को हटाना जरूरी है, तभी उसने यह कड़ा फैसला लिया।
मिस्त्री ने कहा कि डोकोमो के साथ संयुक्त उद्यम को लेकर सभी निर्णयों में रतन शामिल थे। जब जापानी कंपनी के साथ विवाद पैदा हो गया तो सभी फैसले बोर्ड में आम सहमति से लिए गए। इनमें रतन टाटा की रजामंदी भी शामिल थी। उन्होंने डोकोमो के साथ टाटा टेलीसर्विसेज के करार पर भी सवाल उठाए हैं। मिस्त्री के मुताबिक इसकी वजह से टाटा समूह पर 33,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।