शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते भूलकर भी न चढ़ाएं, शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए, आखिर क्यों शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं। इसके बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं, इनमें से एक मान्यता इस प्रकार है.....
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पौराणिक मान्यता के अनुसार जालंधर नाम का एक असुर था जिसे अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। इसका फ़ायदा उठा कर वह दुनिया भर में आतंक मचा रहा था। उसके आतंक को रोकने के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनाई।
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पहले भगवान विष्णु ने जालंधर से अपना कवच मांगा और इसके बाद भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी की पवित्रता भंग की। जिससे भगवान शिव को जालंधर को मारने का मौका मिल गया। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ। गुस्से में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उन पर तुलसी की पत्ती कभी नहीं चढ़ाई जाएंगी। यही कारण है कि शिव जी की किसी भी पूजा में तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती है और जो शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाता है वह भोलेनाथ के क्रोध का भागी बनता है।
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