जानिए! क्यों हुआ भगवान शिव और गणेश के बीच युद्ध?

Samachar Jagat | Sunday, 19 Feb 2017 07:00:01 AM
Why was the war between Lord Shiva and Ganesh

अगर पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाए तो जीवन की सभी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। आइए आपको बताते हैं कैसे हुई भगवान गणेश की उत्पत्ति....

गणेशजी की उत्पत्ति के विषय में बहुत से मत हैं और उनके अनुसार चार से पांच अलग-अलग कथाओं का उल्लेख गणेश पुराण में किया गया है, जिसमें से सबसे प्रचलित कथा इस प्रकार है। श्वेत कल्प में वर्णित गणेशजी की उत्पत्ति कथा के अनुसार भगवती पार्वतीजी और कैलाशपति भगवान शंकर आनंद एवं उत्साहपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। एक दिन दोनों सखियां जया और विजया ने आकर माँ उमा से कहा कि नंदी, भृंगी आदि सभी गण रुद्र के ही हैं। वे भगवान शंकर की ही आज्ञा में तत्पर रहते हैं। हमारा कोई नही है, इसलिए हमारे लिए गण की रचना करें।

पूषन को आई हंसी और शिवजी ने तोड़ दिए उसके सारे दांत

माता पार्वती जी इस बात को ध्यान में लेकर विचार करने लगीं। एक दिन ऐसा हुआ कि भगवती उमा स्नानागार में थीं और द्वारपाल के रूप में नंदी खड़ा था। उसी समय महेश्वर वहाँ पहुँचे। नंदी ने निवेदन करते हुए बताया कि माताजी स्नान कर रही हैं, किंतु नंदी के निवेदन की अवहेलना करके महेश्वर ने स्नानागार में प्रवेश किया। इससे माता पार्वती लज्जित हो गईं। अब उन्हें जया- विजया का प्रस्ताव उचित लगा और विचार किया कि यदि द्वार पर मेरा कोई गण होता तो शिवजी एकाएक इस तरह स्नानागार में प्रवेश नहीं कर पाते।

इस तरह विचारकर त्रिभुवनेश्वरी उमा ने अपने अंग के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण का संचार किया। वह बालक परम सुंदर, अत्यंत शक्तिशाली और पराक्रमी था। उसने पार्वती जी के चरणों में अत्यंत श्रद्धा के साथ प्रणाम किया और उनकी आज्ञा माँगी। देवी पार्वती ने कहा कि तू मेरा पुत्र है। सदा मेरा ही है। तू मेरा द्वारपाल होजा और मेरी आज्ञा के बिना कोई मेरे अंतःपुर में न प्रवेश करे इसका ध्यान रखना।

जानिए! क्यों काटा शिवजी ने ब्रह्माजी का एक सिर

एक बार तपस्या करके घर वापस आने पर महादेवजी घर में प्रवेश करने गये, तब दरवाजे के पास खड़े गणपतिजी ने उन्हें जाने से रोका। भगवान शंकर गुस्सा हुए। दोनों के बीच युद्ध हुआ। अंत में महादेव जी ने गणेशजी का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। पार्वती जी विलाप करने लगीं। पार्वतीजी के दुःख का समन करने के लिए और गणेशजी को दुबारा जीवित करने के लिए महादेवजी ने एक हाथी का मस्तक काटकर गणपति जी के धड़ पर रख दिया। तब से गणेशजी गजानन कहलाने लगें।

(Source- Google)

इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-

बेडरूम से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स

दरवाजे पर तोरण बांधने से दूर होता है वास्तुदोष

पैरों के तलवे देखकर जानें व्यक्ति के स्वभाव के बारे में

 



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.