नई दिल्ली। पृथ्वी पर हर 20 मिनट पर जहां मानव आबादी में 3500 का इजाफा हो रहा है वहीं दूसरी ओर जीव जंतुओं की एक प्रजाति लुप्त हो रही है। हालात ऐसे ही बने रहे तो अगले 30 सालों में धरती की 20 फीसदी प्रजातियां हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी। अंतरर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर पर्यावरण भवन में जैवविविधता और संवहीनय पर्यटन विषय पर आयोजित एक प्रदर्शनी में इन आंकड़ों के जरिए जैव विविधता के महत्व के प्रति लोगों को जागरुक बनाने का प्रयास किया गया है। प्रदर्शनी में प्राकृतिक संसाधनों के तर्कसंगत इस्तेमाल, जैव विविधता के संरक्षण और पर्यावरण अनुकूल विकास के महत्व को विभिन्न क्षेत्रों की जैव संपदा के जरिए समझाने की कोशिश की गई है।
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नए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय मंत्री डा. हर्षवर्द्धने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में यूएनडीपी की रिपोर्ट के हवाले से पेश आंकडों में धरती पर मानव अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जल स्रोतो,जंगलों ,जीव जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों और दलदली वन क्षेत्रों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि जिस मानव जाति का अस्तित्व इनसे बचा है वही इन्हें ही मिटाने पर तुला है। रिपोर्ट के आंकडों के अनुसार प्रति घंटे धरती पर 240 एकड़ जंगल खत्म हो रहे हैं। जिसकी वजह से जैव संपदा की 75 फीसदी विविध किस्में लुप्त हो चुकी हैं।
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प्रदर्शनी में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए 2020 तक जैव विविधता संरक्षण को केन्द्र और राज्यों की नियोजन प्रक्रियाओ में अनिवार्य रूप से शामिल करने तथा जैव संसाधनों के क्षरण और दोहन को रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति क्रियान्वित करने की बात की गई है। प्राकृतिक संसाधनों के तर्कसंगत इस्तेमाल के बढ़ावा देने तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान करने वाले संगठनों और व्यक्तियों के लिए प्रदर्शनी में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से पुरस्कारों की घोषणा भी की गई है। पुरस्कार के लिए आवेदन भेजने की अंतिम तारीख 30 जून है। -एजेंसी
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