जानिए कैसे हुए एक ही पिता के पुत्रों के वंश अलग-अलग

Samachar Jagat | Thursday, 20 Apr 2017 02:54:38 PM
yaduvansh and puruvansh

शंकराचार्य की बेटी देवयानी से विवाह किया नहुषा राजे के पुत्र ययाति ने और फिर राजा भी बने, शुक्राचार्य ने शादी से पहले सख्त हिदायत दी थी की मेरी बेटी के अलावा किसी से सम्बन्ध नही रखोगे। दोनों का जीवन सुखमय था पर देवयानी की दासी शर्मिष्ठा जो की दानव वंश से थी इतनी सुन्दर थी की ययाति उस पे रीझे हुए थे, एक दिन जब शर्मिष्ठा कुए में गिर गई तो उसे कुए से बाहर निकाल कर ययाति ने उससे अपने प्रेम का इजहार कर दिया। लेकिन शुक्राचार्य की वजह से दोनों खुलकर सामने न आ सके, ऐसे में ययाति ने छुपकर शर्मिष्ठा से विवाह कर लिया।

आपको यदि रात को अच्छी नींद नहीं आती तो करें ये उपाय

एक दिन देवयानी ने दोनों को प्रेमालाप करते हुए देख लिया। तब उसने अपने पिता से शिकायत की और पिता शुक्राचार्य ने ययाति को तुरंत बूढ़े होने का श्राप दे दिया, पर जब ययाति ने कहा कि इसका असर देवयानी पर भी पड़ेगा। तो शुक्राचार्य ने कहा की अगर तुम्हे कोई अपनी जवानी दे दे तो तुम उसे भोग सकते हो अन्यथा ऐसे ही रहोगे।

जानिए क्यों गुरुवार के दिन पहनने चाहिए पीले वस्त्र

ययाति के पांच पुत्र थे उसने जब अपने चार बड़े पुत्रो से पूछा तो उन्होंने साफ मना कर दिया। छोटे बेटे पुरू ने बाप का दर्द सुना और उसे अपनी जवानी दे दी। इसके बाद ययाति ने अपने चारो बेटों को राज्य से बेदखल कर दिया और श्राप दिया की तुम और तुम्हारे वंशज अपने बाप के बनाए राज में राज नही कर सकोगे ( मतलब अगर पिता राजा है तो बेटे को दूसरा ही राजवंश बनाना पड़ेगा उसका बेटा उसका राज नही सम्हाल सकेगा) जबकि पुरू को राजा बनाया और इसी पुरू के नाम से आगे जाके पुरू वंश कहलाया और बाकि चारो भाइयों का वंश यदुवंश कहलाया।

इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-

सैलानियों को बहुत लुभाते हैं ये लंबे रेल रूट

गर्मी की छुट्टियों में कूल होने के लिए जाएं इन जगहों पर

विश्व की सबसे सूखी जगह है अटाकामा डेजर्ट का ये स्थान

 

 



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.