रेखा गौड़
सत्ता का घमंड जब इंसान के सिर पर चढ़ जाता है तो इसका परिणाम बहुत ही घातक होता है। अभिमान इंसान का शत्रु होता है, कभी भी किसी भी इंसान को अपने पद, प्रतिष्ठा या धन का घमंड नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ये बताया गया है कि जिस व्यक्ति ने भी अभिमान किया, उसका सिर हमेशा सबके सामने नीचा हुआ। रामायण और महाभारत तो इसकी चीख-चीख कर गवाही देते हैं। हम आपको यहां रामायण और महाभारत के ऐसे ही पात्रों के बारे में बता रहे हैं जो सत्ता के नशे के कारण विनाश के ऐसे मार्ग पर चले जहां पहुंचकर मृत्यु के बाद ही उन्हें मुक्ति मिली। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में.....
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रावण :-
कहते हैं महापराक्रमी रावण का भय देवताओं को भी सताता था, ग्रह-नक्षत्र भी उसकी आज्ञा के बिना परिवर्तित नहीं होते थे। वेदों के ज्ञाता, महापंडित रावण के अंत का कारण बना उसका अभिमान। रावण अपनी सत्ता के घमंड में इतना चूर हो गया कि उसने इसका दूरूपयोग करना शुरू कर दिया और अंत में विभीषण को छोड़कर उसके साथ उसके पूरे कुल का नाश हुआ।
कंस :-
भगवान कृष्ण का मामा कंस, उसने अपने पिता को बंदी बनाकर मथुरा का राज्य हासिल किया और सत्ता हाथ में आते ही मासूम लोगों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया। जब उसका अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया तो श्री कृष्ण को उसका वध करना पड़ा।
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बाली :-
बाली बहुत ही पराक्रमी वानर था लेकिन उसने सत्ता के मद में चूर होकर अपने ही भाई को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया। इसके बाद भी उसका अभिमान और आतंक कम नहीं हुआ, अंत में भगवान राम को उसका वध करना पड़ा।
दुर्योधन :-
दुर्योधन पर सत्ता का नशा ऐसा चढ़ा कि इसके लिए महाभारत का युद्ध हुआ, इस युद्ध में जो विनाश हुआ इसकी भरपाई आज तक नहीं हो पाई है। उसका अभिमान ही उसे रणभूमि तक ले पहुंचा, इस युद्ध के बाद भी उसे सत्ता नहीं मिली बल्कि अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े।
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