हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को नारद जयंती मनाई जाती है, कल नारद जयंती है। नारद भगवान विष्णु के परम भक्त थे, इसके बाद भी उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया और इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु को रामावतार में चौदह वर्षों तक वन में रहना पड़ा। जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो कुछ समय के लिए राम और सीता को एक-दूसरे से अलग रहना पड़ा। आखिर नारद ने भगवान विष्णु को श्राप क्यों दिया। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में....
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भगवान राम का जन्म रावण वध करने के उद्देश्य से हुआ था। अगर राम राजा बन जाते तो देवी सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य अधूरा रह जाता। इसलिए राम को वन जाना पड़ा। एक बार नारद मुनि के मन में एक सुंदर कन्या को देखकर विवाह की इच्छा जगी। नारद मुनि नारायण के पास पहुंचे और हरि जैसी छवि मांगी।
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हरि का मतलब विष्णु भी होता है और वानर भी। भगवान ने नारद को वानर मुख दे दिया। इस कारण से नारद मुनि का विवाह नहीं हो पाया। क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को शाप दे दिया कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुनः मिलन होगा। इस शाप के कारण राम-सीता को अलग होकर वियोग सहना पड़ा।
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