गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था और धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधा था। अपने पति की इस कमी को स्वयं अपने जीवन में उतारने के लिए गांधारी ने स्वयं अपनी आंखों पर भी पट्टी बांधकर आजीवन अंधे रहने का निर्णय किया। अपने पति के प्रति इसी कठोर समर्पण और निष्काम भाव की वजह से गांधारी की आंखों में एक ऐसी शक्ति प्रवेश कर गई जो बहुत अद्भुत थी। गांधारी ने महाभारत के युद्ध में अपने पुत्र दुर्याधन को मृत्यु से बचाने के लिए इस शक्ति का प्रयोग किया लेकिन कुछ कमी रहने के कारण इसी शक्ति की वजह से दुर्योधन की मृत्यु हुई। आइए जानते हैं गांधारी ने कैसे किया अपनी आंखों की इस अद्भुत शक्ति का प्रयोग और कैसे हुई दुर्योधन की मृत्यु.....
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गांधारी का पतिधर्म बहुत मजबूत था, एक समर्पित स्त्री होने के साथ-साथ वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। गांधारी के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे एक वरदान दिया था कि वह अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर जिस किसी को भी देखेगी उसका शरीर वज्र के समान हो जाएगा।
जैसे ही महाभारत का युद्ध हुआ तो गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन से कहा कि वे गंगा में स्नान कर नग्नावस्था में ही उसके सामने उपस्थित हो जाए। अपनी माता की आज्ञा पाते ही दुर्योधन गंगा में स्नान करने के लिए चल पड़ा। स्नान करने के पश्चात दुर्योधन नग्न अवस्था में अपनी माता से मिलने चल पड़ा। मार्ग में ही दुर्योधन की मुलाकात श्रीकृष्ण से हुई। श्रीकृष्ण दुर्योधन को पूर्ण नग्नावस्था में देखकर चौंक गए, उन्होंने दुर्योधन से कहा तुम्हें लज्जा नहीं आती, ऐसी हालत में तुम महल की ओर कैसे जा सकते हो, आखिर मामला क्या है?
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इससे पहले कि दुर्योधन कुछ कह पाता श्रीकृष्ण बोल पड़े, दुर्योधन पहले तुम बालक थे, किसी भी रूप में अपनी माता के सामने जा सकते थे, लेकिन अब तुम बड़े हो गए हो, माता गांधारी के समक्ष ऐसे जाना अनुचित है। दुर्योधन को श्रीकृष्ण की बात सही लगी, उसने अपने कमर के निचले हिस्से को पत्तों से ढक लिया और फिर गांधारी के समक्ष उपस्थित हुआ। जैसे ही गांधारी से अपने नेत्र खोले, उनकी दृष्टि दुर्योधन के नग्न शरीर पर पड़ी जिसकी वजह से उसका शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
परंतु अफसोस, श्रीकृष्ण के बहकावे में आकर दुर्योधन ने अपनी जांघों का हिस्सा ढक लिया था जिसकी वजह से गांधारी की दृष्टि उस भाग पर नहीं पड़ सकी और उसका पूरा शरीर कठोर नहीं हो सका। परिणामस्वरूप, महाभारत के युद्ध के दौरान भीम द्वारा दुर्योधन की जंघा के भाग पर वार करने से ही दुर्योधन की मृत्यु हुई।
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