जयललिता का फिल्म अभिनेत्री से सीएम बनने तक का सफर

Samachar Jagat | Monday, 05 Dec 2016 01:05:47 PM
CM Jayalalithaa

इंटरनेट डेस्क। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की तबियत नासाज चल रही हैं। जयललिता वहां के लोगों के दिलों पर राज करती है। आपको बता दें कि शुरू से ही जे जयललिता एक कामयाब वकील बनना चाहती थीं। लेकिन किस्मत ने उन्हें पहले फिल्मों और फिर राजनीति में धकेल दिया।

दोनों ही क्षेत्रों में उनका सफर आसान नहीं रहा है। जयललिता 140 फिल्में करने, 8 बार विधानसभा का चुनाव लडऩे तथा एक बार राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के अलावा 5  बार तमिलनाडु की सीएम बनी हैं। तमिनाडु की सीएम आजकल बीमार हैं और चेन्नई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। परिस्थितियों से जूझते हुए जयललिता सीएम के मुकाम तक कैसे पहुँचीं?

राजनीतिक सफर
जयललिता का जन्म वर्ष 1948 की 24 फरवरी को मैसूर में मांडया जलि के मेलुरकोट गांव में हुआ था। उनके पिता की मृत्यु जब हुई, वे मजह 2 वर्ष की थी। यहीं से उनका जीवन संघर्ष भी शुरू हुआ।  उनकी माँ वेदवल्ली ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना नाम बदल कर संध्या रख लिया। जयललिता अपनी मौसी और नाना-नानी के पास रहकर बंगलुरू के बिशप कॉटन स्कूल में पढऩे लग गई। मौसी की शादी के बाद वह अपनी माँ के पास चेन्नई चली गईं। यहां उनके जीवन ने दूसरी करवट ली, क्योंकि पढ़ाई में अच्छा करने के बावजूद उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर किया।
 

फिल्मी सफर
उनकी पहली कन्नड़ मूवी के बाद उनके पास एक के बाद एक फि़ल्मे पर्दे पर आने लग गई थी। उन्होंने दक्षिण भारत में उस दौर के लगभग सभी सुपरस्टारों, मसलन, शिवाजी गणेशन, जयशंकर, राज कुमार, एनटीआर यानी एन टी रामाराव और एम जी रामचंद्रन यानी एमजीआर के साथ काम किया।

अभिनय नहीं करना चाहती थीं जयललिता
फिल्म इतिहासकारों के मुताबिक जयललिता ने जयशंकर के साथ 10 तमिल फिल्मों में काम किया। उन्होंने एन टी रामाराव के साथ 12 तेलुगु फिल्मों में भी काम किया। इसके अलावा उस समय के तेलुगु सिनेमा के सुपरस्टार अक्कीनेनी नागेश्वर राव के साथ उन्होंने 7 फिल्में कीं। शिवाजी गणेशन के साथ की गई तमिल मूवी 'पट्टिकाडा पट्टनामा' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

अन्ना द्रमुक की सदस्यता ग्रहण की
जब एम जी रामचंद्रन राजनीति में आए, जयललिता को भी साथ ले आए। साल 1982 में उन्होंने अन्ना द्रमुक की सदस्यता ग्रहण की तथा  1983 में पार्टी की प्रचार प्रमुख बन गईं और विधायक भी। उन्होंने पहला चुनाव तिरुचेंदूर सीट से जीता. एम जी रामचंद्रन ने 1984 में उन्हें राज्यसभा भेजा। फिल्मों की तरह ही राजनीति में भी जयललिता एक-एक कर सीढिय़ां चढ़ती चली गईं। हाल 1988 में एम जी रामचंद्रन के निधन के बाद अन्ना द्रमुक दो हिस्सों में बंट गया।

एक हिस्से का नेतृत्व एमजीआर की पत्नी जानकी कर रहीं थी तो दूसरे का जयललिता। लेकिन, उस समय तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी एच पांडियन ने जयललिता के गुट के 6 सदस्यों को अयोग्य करार दिया। जानकी रामचंद्रन तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं। राष्ट्रपति शासन के बाद 1989 में हुए विधानसभा के चुनावों में जयललिता के गुट ने 27 सीटें जीत लीं और वे विपक्ष की नेता बनीं।

लेकिन, 25 मार्च 1989 में तमिलनाडु के विधानसभा में जो हुआ, उसने लोगों में जयललिता के प्रति सुहानुभूति और बढ़ा दिया। सत्ता पक्ष यानी डीएमके के सदस्यों और अन्ना द्रमुक के सदस्यों के बीच सदन में ही हाथापाई हुई और जयललिता के साथ जोर जबरदस्ती की गई।

अपनी फटी साड़ी के साथ जयललिता विधानसभा से बाहर आईं और लोगों ने सत्ता पक्ष को इस घटना के लिए खूब कोसा। यही वो दिन था जब जयललिता ने सदन से निकलते हुए कहा था कि वह मुख्यमंत्री बन कर सदन में लौटेंगी वर्ना नहीं। वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनावों में जयललिता ने कांग्रेस से चुनावी समझौता किया और 234 में से 225 सीटें जीत लीं। वह मुख्यमंत्री बनीं।

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