जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान या स्तन-पान के समय ऑइली मछली खाती हैं, उनके बच्चों में सांस की बीमारियां और अस्थमा का जोखिम काफी कम हो जाता है।एक ताजा शोध में पता चला है कि 11 महीने की उम्र से पहले जिन बच्चों को मछली और अंडे खिलाए गए (जो कि ओमेगा-3 फैटी ऐसिड के स्रोत हैं) उनमें ऐलर्जी होने का जोखिम बहुत कम हो गया।
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जो बच्चे अपनी शुरुआती जिंदगी में मछली, अंडे और आटा खाते हैं, उनमें ऐलर्जी का खतरा कम होता है क्योंकि उनके खून में ओमेगा-3 का लेवल काफी ज्यादा हो जाता है। शोध के नतीजों में बताया गया है कि जन्म के समय और फिर चार महीने की उम्र में, स्वस्थ बच्चों के खून में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है।
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स्वीडन की चालमर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी से ताल्लुक रखने वाली कैरिन जॉनसन ने एक बयान में कहा, 'जो परिवार मछली का सेवन करते हैं, लगता है उनमें ऐलर्जी की रिस्क कम हो जाता है।'
कैरिन ने बताया, 'यह लेवल, मां द्वारा मछली खाए जाने से सीधे जुड़ा हुआ है। जो माताएं गर्भावस्था और स्तन-पान के दौरान खूब मछली खाती हैं, उनके खून में ओमेगा-3 की मात्रा ज्यादा होती है, हम इसका सबूत मां के दूध में भी देख सकते हैं।'
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