पुराणों के मतानुसार शनि देव को परमात्मा ने सभी लोकों का न्यायाधीश बनाया है। शनिदेव त्रिदेव और ब्रह्मांड निवासियों में बिना किसी भेद के उनके किए कर्मों की सजा उन्हें देते हैं। जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव पड़ता है तो वह पाठ-पूजा और तंत्र-मंत्र के माध्यम से शनिदेव को खुश करने में जुट जाता है। शास्त्रों में सेवा, दान-पुण्य और मानव-प्रेम ऐसे तीन काम हैं जिन्हें आप अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लेंगे तो शनि आप पर कभी अपना दुष्प्रभाव नहीं डालेंगे।
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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को दूर करने के लिए करें ये उपाय :-
सेवा -
माता-पिता, गुरु और बड़ों का सत्कार व सेवा करने वाले व्यक्ति पर शनि मेहरबान रहते हैं। इसके विरुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति को शनि का प्रकोप सहना पड़ता है।
दान-पुण्य -
शनि देव दान से जल्द ही प्रसन्न होते हैं, अपना कर्म ठीक रखें तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप धर्म के मार्ग पर चलते हुए दान-पुण्य करें। इंसान का भला और बुरा तो उसके स्वयं के कर्मों की वजह से होता है। अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो आपका बुरा होना नामुमकिन है।
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मानव-प्रेम-
सच्चे-अच्छे लोगों पर शनिदेव की कृपा बराबर बनी रहती है। वह घमंडी का सिर नीचा करते हैं और उसे कष्ट देकर नम्र और अच्छा इंसान बनाते हैं। गरीब, कमजोर और निम्न वर्ग के लोगों की अन्न, धन, वस्त्र या किसी अन्य विकल्प के द्वारा मदद करने से शनि की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
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