शास्त्रों में महालक्ष्मी के आठ स्वरुपों का वर्णन मिलता है। माता लक्ष्मी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। शास्त्रों के अनुसार इन आठों स्वरूपों में माता लक्ष्मी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। अगर व्यक्ति माता लक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों की पूजा करता है तो उसे कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। आइए आपको बताते हैं माता लक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों और इससे जुड़े मंत्रों के बारे में....
श्री आदि लक्ष्मी :-
शास्त्रों के अनुसार श्री आदि लक्ष्मी जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती हैं तथा इनका मूल मंत्र ॐ श्रीं है।
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श्री धान्य लक्ष्मी :-
श्री धान्य लक्ष्मी जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती हैं तथा इनका मूल मंत्र ॐ श्रीं क्लीं है।
श्री धैर्य लक्ष्मी :-
श्री धैर्य लक्ष्मी जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती हैं तथा इनका मूल मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं है।
श्री गज लक्ष्मी :-
श्री गज लक्ष्मी जीवन में स्वास्थ्य और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं है।
श्री संतान लक्ष्मी :-
श्री संतान लक्ष्मी का ये रूप व्यक्ति को जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करता है तथा इनका मूल मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं है।
श्री विजय लक्ष्मी :-
श्री विजय लक्ष्मी जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती हैं तथा इनका मूल मंत्र ॐ क्लीं ॐ है।
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श्री विद्या लक्ष्मी :-
श्री विद्या लक्ष्मी जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती हैं तथा इनका मूल मंत्र ॐ ऐं ॐ है।
श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी :-
ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है ॐ श्रीं श्रीं।
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