हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है होली, इस त्योहार हो सभी मिलजुल कर बड़े ही हर्षाल्लास से मनाते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथी को प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है।
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इस बार 12 मार्च को पूर्णिमा उदय व्यापिनी है, वहीं इस दिन भद्रा का मुख सांय 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजकर 33 मिनट तक है। इसी कारण इस साल होलिका दहन सांय 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 35 मिनट तक किया जाएगा।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार होलिका दहन या पूजन भद्रा के मुख को त्याग करके करना शुभफलदायक होता है। वहीं होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कना चाहिए।
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ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि अगर होली दहन के समय होली का धुंआ पूर्व की ओर जाए अर्थात् पश्चिम की हवा चले तो राजा और प्रजा दोनों का सुख, दक्षिण की हवा चले तो देश भंग तथा दुर्भिक्ष हो, राज्य विग्रह।
पूर्व की हवा चले तो अर्थात् धुआं पश्चिम को जाए तो धन- सम्पति बढ़े, उत्तर की हवा चले तो धान्य की वृद्धि हो और यदि होली का धुआं सीधा जाए तो राज्य छूटे यानि चुनाव हो। इस बार देखते हैं हवा की दिशा क्या निर्धारित करती है।
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