दीवाली पूजन में सामान्य पूजन सामग्री तो आप जानते ही होगें। पूजन की इन सामान्य सामग्रियों में दीपक, प्रसाद, कुमकुम,फल-फूल, माला, चावल आदि को शामिल किया जाता है। वहीं कुछ ऐसी सामग्री भी है जिन्हें अपनी दीवाली पूजा में शामिल करना चाहिए। तो आइए जानते है उन सामग्रियों के बारे में जिन्हें आप अपनी पूजा में अवश्य करें शामिल।
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खीर- दीवाली पूजा में मिठाई के साथ-साथ ही घर पर बनी खीर अवश्य पूजा में शामिल करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि खीर लक्ष्मी जी की प्रिय है, इसलिए प्रसाद के रुप में इसे अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
वंदरवार- भारतीय परिवारों में ओर हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक पर्व पर वंदरवार बनानें की परंपरा है। वंदरवार पीपल, अशोक के पत्तों से बनाई जाती है। इसे घर के मुख्य द्रार पर बांधी जाती है। कहां जाता है कि सभी देवी-देवता इन पत्तियों की महक से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते है। मुख्य द्दार पर लगी वांदरवार से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आ पाती।
गन्ना- गजलक्ष्मी रुप में भी महालक्ष्मी को जाना जाता है। इस रुप का वर्णन करु तो इसमें वे एरावत हाथी पर सवार दिखाई देती है। माता की प्रिय सवारी ऐरावत की प्रिय खाद्द्-सामग्री गन्ना है। इसिलिए दिवाली वाले दिन गन्नें को पूजा में शामिल करना शुभ माना जाता है। पूजा संपन्न होने के बाद गन्नें को प्रसाद के रुप में सेवन कर सकते है। गन्नें में भरी मिठास के जितनी ही हमें अपनी वाणी और रिश्तों में भी रखनी चाहिएं।
पीली कौड़ी- लक्ष्मी पूजा की थाली में पीली कौड़ियां रखना बहुत पुरानी परंपरा में से है। ये धन और लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। पूजा के बाद इन्हें अफनी तिजोरी में रखनें से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
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पान- पान का पत्ता शुभ कार्यो के लिए अति शुभ माना जाता है। पान खानें पर जिस तरह हमारे स्वास्थ्य को लाभ मिलता है उसी तरह पूजा में इसे शामिल करके घर की शुध्दि को बढ़ाया जा सकता है। इससे घर का वातावरण सकारात्मक और पवित्र बना रहता है।
ज्वार- पुरानी पंरपराओं के अनुसार ज्वार का पोखरा रखनें से धन में वृध्दि होती है। सभी देवी-देवताओं के साथ ही माता अन्नपूर्णा की कृपा भी बनी रहती है। अन्नपूर्णा और लक्ष्मी कृपा से घर में किसी भी तरह के अनाज की कमी नहीं होती।
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स्वस्तिक- किसी भी पूजा में स्वस्तिष्क का विशेष महत्व है। स्वास्तिष्क की चार भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं को दर्शाती है। साथ ही ये चार भुजाएं ब्रह्हाचर्य, गृह्स्थ वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमों का प्रतिक भी मानी जाती है। स्वास्तिक केसर, हल्दी या फिर सिंदूर से बनाया जाता है। इसके प्रभाव से श्रीगणेश के साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है।
चावल- पुराने समय से ही चावल को पूजा में शामिल किया जाता रहा है। पूजा में चावल को शामिल करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। चावल को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक कार्यो में चावल एक धान के रुप में भी उपयोग किया जाता है। पूजा में चावल रखनें के संबध में एक मान्यता है कि यह घर पर कोई काला दाग भी नहीं लगनें देता। तिलक लगाते समय चावल का भी उपयोग किया जाता है। क्योंकि यह इस बात का प्रतिक है कि तिलक लगानें वाले व्यक्ति को समाज, घर-परिवार में पूर्ण सम्मान की प्राप्ति होती है।
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रंगोली- लक्ष्मी पूजा के स्थान पर या फिर प्रवेश द्रार और आंगन में रंगो से धार्मिक चिह्ह कमल, स्वास्तिक, कलश फूलपत्ती आदि से रंगोली बनाई जाती है। माना जाता है कि रंगोली से लक्ष्मी जी जल्दी आकर्षित होती है। साथ ही घर में पवित्रता भी बढ़ती है।
बताशे- दिवाली की पूजन सामग्री में बताशों को शामिल करना अति शुभ माना जाता है। पूजन के बाद बताशे दान करनें से धन में वृध्दि होती है।
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