दंगल के ये दमदार डायलॉग जगा देंगे आपमें कुछ कर गुज़रने का जज़्बा 

Samachar Jagat | Friday, 23 Dec 2016 02:38:44 PM
dangal movie powerful dialog

बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्टनिस्ट की मोस्ट अवेटेड फिल्म दंगल  23 दिसम्बर यानि आज रिलीज़ हो गयी है। फिल्म फर्स्ट लुक आने के बाद से ही सुर्ख़ियों में बनी ही है। हरियाणा के पहलवान और उसकी बेटियों पर बनी इस फिल्म के लिए आमिर खान ने लगभग 2 साल से ज्यादा कठिन मेहनत की है। वो मेहनत पर्दे पर नज़र आ भी रही है।

फिल्म रिव्यू : हानिकारक बापू के लाभदायक फायदों से भरपूर "दंगल"

फिल्म देख चुके दर्शक जमकर तारीफे कर रहे है। स्पेशल स्क्रीनिंग पर भी इंडस्ट्री के कोई स्टार्स और दिग्गजों ने फिल्म की खूब तारीफे की है। फिल्म को देखने के बाद सेलेब्स के ट्विटर का तांता लग गया है। फिल्म के दमदार डायलॉग फिल्म में जान डाल देते है। हर डायलॉग स्वाभिमान और गर्व का एहसास करता है।   

फिल्म रिव्यू : हानिकारक बापू के लाभदायक फायदों से भरपूर "दंगल"

आइये आपको बताते है दंगल के कुछ ऐसे ही जबरदस्त दमदार डायलॉग 

1. मेडलिंस्ट पेड़ पर नहीं बनते
फिल्म के एक सकें एमए आमिर अपनी बेटियों को पहलवान बनाने के बारे में अपनी पत्नी से कहते है की मेडलिंस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से , मेहनत से , लगन से।'

 

2. अपना तिरंगा सबसे ऊपर लहरावेगा
आमिर खान अपनी पत्नी से कहते है की हर खिलाडी की तरह उनका सपना था देश के लिए गोल्ड मैडल लाने ये सपना अब उनका बेटा पूरा करेगा। देश का तिरंगा सबसे ऊपर लहरायेगा। आमिर खान का यह डायलॉग एक खिलाड़ी का उसके देश के प्रति जुनून दिखाता है। 

3. गोल्ड तो गोल्ड होता है छोरा लावे या छोरी
आमिर कहते है "मैं हमेशा ये सोच के रोता रहा की छोरा होता तो देश के लिए गोल्ड मैडल लाता ये बात मेरे समझ में ना आयी की गोल्ड तो गोल्ड होता है छोरा लेवे या छोरी" ये डायलॉग हमारे समाज की एक बहुत बड़ी विकृति को उजागर करता है। जहां समाज की लड़कियां, लड़कों से कम आंकी जाती हैं। अगर ये बात सबको समझ आ जाये तो देश में लड़का लड़की के भेदभाव को दूर किया जा सकता है। 

4. मिसालें दी जाती हैं बेटा, भूली नहीं जाती 
बेटी को गोल्ड मैडल का महत्व समझते हुए आमिर कहते है की कांस्य लाएगी तो लोग तारीफ करेंगे फिर थोड़े दिन बाद भूल जायेंगे मगर गोल्ड जीतेगी तो मिसाल बनेगी और बेटा मिसालें दी जाती हैं भूली नहीं जाती। आमिर खान अपनी बेटी को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश तुम्हें सिर्फ तभी याद रखेगा जब तुम गोल्ड मैडल ला कर दिखाओगी। 

5. म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के

एक डायलॉग में आमिर कहते है की 'पहलवानी तो छोरे करे है पर म्हारी छोरियां छोरो से काम है के' ये डायलॉग सभी लोगों के लिए एक सन्देश जो अपनी बेटियों की क्षमताओं को कम आंकते है। 



 

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