बेंगुलुरु के एक छोटे से गांव में रहने वाली 16 वर्षीया स्कूली छात्रा की एक पहल ने उसे अपने गांव का अजीज़ बना दिया। उसने सोचा भी नहीं होगा की उसकी एक छोटी सी कोशिश उसके गांव की तश्वीर बदल देगी।
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दरअसल इस छात्रा का गांव बदहाली और दुर्दशा से भरी पड़ी थी। गांव की ये हालत देख कर पहले भी कई बार इस छात्रा ने प्रधान मंत्री को खत लिखने की कोशिश कर चुकी है। मगर घबरा कर रह जाती थी। फिर अपनी स्कूल की एक टीचर की मदद से उसने आखिरकार खत लिखा और भेजा भी। इस गांव की स्थिति इतनी बुरी है की यहां कोई भी बड़ी अस्पताल मौजूद नही है, स्कूल है तो सही मगर हालत बिलकुल ठीक नहीं है। इस गांव में कुल 35 परिवार 300 आबादी के साथ रहती है।
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अपने गांव की बदहाली को रोकने के लिए इस छात्रा ने आखिर प्रधानमंत्री को खत लिखा और स्थिति सुधारने की उम्मीद रखी। हलाकि शुरुआती दो महीने पीएम की और से कोई जवाब नहीं आया, मगर एक दिन अचानक परिवार को एक खबर मिली कि इस मामले में चिक्कामंगलुरु जिला प्रशासन को पीएमओ के निर्देश आए हैं।
कहते है न, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं,होती इसी कहावत को सच कर दिखाया इस छात्रा ने , तभी तो गांव के विकास के लिए केंद्र ने 80 लाख रूपए का फण्ड दिया।
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