बायोटेक्नोलॉजी दो शब्दों से निर्मित है :- पहला ‘बायो’ अर्थात् बायोलॉजी और दूसरा ‘टेक्नोलॉजी’ अर्थात् नवीन तकनीकों का उपयोग अर्थात् बायोटेक्नोलॉजी ऐसी तकनीक जो जैविकता को इस्तेमाल करते हुए नए उत्पाद बनाए, जो कि असली उत्पाद से बेहतर हों।
भारत जैसे विकासशील देश में बायोटेक्नोलॉजी की जडें तेजी से फैल रही हैं।
बायोटेक्नोलॉजी केवल प्रयोगााला में शोध करने का ही नाम नहीं है, अपितु इससे अनुसंधान को व्यापारिक बाजार में भी दर्जा मिलता है, जिसे मूलत: इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी कहा जाता है।
इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी जिसे दूसरे शब्दों में श्वेत बायोटेक्नोलॉजी कहा जाता है, बायोटेक्नोलॉजी की ऐसी ब्रांच है जिसका उद्देश्य कम मोल के सामान को प्रयोग करते हुए ऊँचे मोल का उत्पाद बनाना है, जिसमें रोगाणुओं, पेड, एवं जीवजन्तु की कोशिकाओं का प्रयोग किया जाता है।
यह बायोटेक्नोलॉजी को बाजार में लाने की एक कला है। कई खाद्य पदार्थ संसाधन एवं औषध विज्ञान सम्बंधी कम्पनियों के अनुसंधान एवं विकास विभाग के स्थापित होने की वजह से इन कंपनियों में भारी मात्रा मे पेशेवर शोधकों की आवयकता है। क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र से लाभान्वित हो रही है, इसी कारणवश इस क्षेत्र को केवल शिक्षित ही नहीं अपितु पेशेवर शोधक चाहिए।
इसी मांग को पूरा करने के लिए भारत के शैक्षणिक संस्थानों ने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है और इसी कारणवश स्नातक स्तर पर से ही औद्योगिक कार्यक्रम चालू किए गए हैं। ताकि वह आने वाले समाज के लिए औद्योगिक अभिरूचि वाले विज्ञान विशेषज्ञ तैयार कर सकें।
डॉ. बी. लाल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, जयपुर के दिल में बसा विशिष्ट बायोटेक्नोलॉजी संस्थान है।आईएसओ 9001:2008 द्वारा प्रमाणित, यह संस्थान इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी में प्रािक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराता है ताकि विद्यार्थी प्रयोगााला परिणामों को औद्योगिक स्तर पर सफल रूप से कर सकें।
आधुनिक बायोटेक कॉलेज जिसको राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ बायोटेक कॉलेज का दर्जा दिया गया है, स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थीयों को अवसर प्रदान करता है, जिसमें ऐसा मानसिक वातावरण तैयार होता है कि वह आसानी से औद्योगिक कमी को पूरा कर सकते हैं।
जो मॉड्यूल्स संस्थान इण्डस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी में प्रदान कराता है, उसकी अवधि 15 दिन से लेकर 6 माह की होती है, जिनको अलग तरीके से बनाया गया है एवं अनुभवी पथ प्रदर्शकों की देखरेख में किया जाता है।
मॉड्यूल्स पूर्ण होने पर संस्था द्वारा उसका सर्टीफिकेट प्रदान किया जाता है एवं असाधारण कार्य योजना को प्रकााित भी किया जाता है। अभी तक 2500 विद्यार्थी इस कार्यक्रम से लाभान्वित हो चुके है।
इस संस्था का आंतरिक लक्ष्य एक साधारण मनुष्य में से पेशेवर औद्योगिक इंसान निकालना है जो भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान कर सके।