अर्जुन की पत्नी द्रोपदी तो थी ही इसके अलावा उनकी एक और पत्नी थी, जिसका नाम चित्रांगदा था। चित्रांगदा मणिपुर नरेश चित्रवाहन की पुत्री थी, जब वनवासी अर्जुन मणिपुर पहुंचे तो उसके रूप पर मुग्ध हो गए। उन्होंने नरेश से उसकी कन्या मांगी।
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राजा चित्रवाहन ने अर्जुन से चित्रांगदा का विवाह करना इस शर्त पर स्वीकार कर लिया कि उसका पुत्र चित्रवाहन के पास ही रहेगा क्योंकि पूर्व युग में उसके पूर्वजों में प्रभंजन नामक राजा हुए थे। उन्होंने पुत्र की कामना से तपस्या की थी तो शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्त करने का वरदान देते हुए यह भी कहा था कि हर पीढ़ी में एक ही संतान हुआ करेगी।
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अतः चित्रवाहन की संतान वह कन्या ही थी। अर्जुन ने शर्त स्वीकार करके उससे विवाह कर लिया। चित्रांगदा के पुत्र का नाम बभ्रुवाहन रखा गया। पुत्र-जन्म के उपरांत उसके पालन का भार चित्रांगदा पर छोड़ अर्जुन ने विदा ली।