RAJYA SABHA: हमें कानून के शासन का स्वागत करना चाहिए या इसके खत्म होने पर निराशा होना चाहिए-Sibal

varsha | Friday, 21 Apr 2023 11:05:23 AM
We must welcome the rule of law or despair at its end: Sibal

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) राज्यसभा के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नरोदा गाम दंगा मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी करने के गुजरात की अदालत के फैसले की शुक्रवार को आलोचना की और सवाल उठाया कि ''क्या हमें कानून के शासन का स्वागत करना चाहिए या इसके खत्म होने पर निराश होना चाहिए?’’


गुजरात की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया था। गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों के दौरान, अहमदाबाद के नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया।

सिब्बल ने इस फैसले को लेकर ट्वीट किया, '' नरोदा गाम : 12 साल की बच्ची सहित हमारे 11 नागरिक मारे गए थे। 21 साल बाद 67 आरोपियों को बरी कर दिया गया। क्या हमें कानून के शासन का स्वागत करना चाहिए या इसके खत्म होने पर निराश होना चाहिए?’’इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, '' किसी की हत्या हुई थी। यह पता लगाना जांच एजेंसी का काम है कि यह (हत्याएं) किसने की। जांच एजेंसियों ने पता लगाया। क्या यह जांच एजेंसियों की विफलता नहीं है कि वे उन्हें न्याय के दायरे में नहीं ला पाईं ?’’

सिब्बल ने कहा, '' क्या जांच एजेंसियां दोषमुक्ति या सजा की मांग कर रही हैं? मुझे यकीन है कि जांच एजेंसी अपील दायर नहीं करेगी। मुझे आश्चर्य है कि क्या अदालतें सुनवाई के दौरान सामने आ रही अन्याय की कहानियों को लेकर मूक दर्शक बनी रहेंगी ?’’अहमदाबाद स्थित विशेष जांच दल (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस. के. बक्शी की अदालत ने नरोदा गाम दंगों से जुड़े इस बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे। इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय द्बारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी, जिसके बाद नरोदा गाम में दंगे हुए थे।इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया था। 



 


Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.