'बातचीत का दौर खत्म...' पीएम मोदी को पाकिस्तान के न्योते का भारत ने दिया ये जवाब

varsha | Saturday, 31 Aug 2024 12:46:56 PM
'The phase of talks is over...' This is how India responded to Pakistan's invitation to PM Modi

pc:navbharattimes

पाकिस्तान द्वारा एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत को निमंत्रण दिए जाने के बाद, भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब पाकिस्तान के साथ बिना शर्त और बिना बाधा के बातचीत का समय समाप्त हो चुका है। यह बात उन्होंने दिल्ली में राजीव सिकरी की किताब Strategic Conundrums: Reshaping India’s Foreign Policy के लॉन्च के मौके पर कही।

जयशंकर ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि "हर एक्शन के परिणाम होते हैं" और भारत अब निष्क्रिय नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि कोई सकारात्मक या नकारात्मक गतिविधि होती है, तो भारत त्वरित प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने भारत की "नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी" पर भी चर्चा की,और कहा भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी को एक छाते के समान है, जिसमें दुनिया में चल रहे अस्थिर तूफानों के बीच भारत के पड़ोसी देश शरण हासिल करते हैं।

विदेश मंत्री ने बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, भूटान, और अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत इन देशों के साथ दीर्घकालिक और स्थिर संबंध बनाने के लिए साझा परियोजनाओं और कनेक्टिविटी पर ध्यान दे रहा है। बांग्लादेश में हालिया बदलावों को देखते हुए जयशंकर ने कहा कि भारतीय कूटनीति तात्कालिकता से अधिक, दीर्घकालिक साझा हितों पर आधारित होती है।

जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ ऐसे रिश्ते बना रहा है जो संकट के समय भी स्थिर रहें। उन्होंने श्रीलंका के संकट के समय भारत की मदद को भी रेखांकित किया, जिसे वहां के लोग और राजनीति दोनों ने स्वीकार किया।

विदेश मंत्री ने बांग्लादेश को लेकर क्या कहा?

विदेश मंत्री ने "नेबरहुड फर्स्ट" नीति की व्याख्या करते हुए कहा कि विदेश नीति को देशों में होने वाले बदलावों के आधार पर तैयार किया जाता है। अस्थिरता और उथल-पुथल से जूझ रहे देशों के साथ कूटनीति में हर संभावित विकल्प को खुला रखा जाता है। बांग्लादेश में हालात के तेजी से बदलने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए डिप्लोमेसी को तात्कालिकता के बजाय लंबे समय से चले आ रहे साझा हितों पर अधिक भरोसा करना पड़ता है। मालदीव और अब बांग्लादेश में भारतीय डिप्लोमेसी यही दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रही है।

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