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इंटरनेट डेस्क। मध्य प्रदेश में मामा के नाम से पहचान बना चुके शिवराज सिंह चौहान अब सीएम नहीं रहे। उन्होंने प्रदेश में लगातार चार बार सीएम का पद संभाला और आखिरी में भी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाया, लेकिन इस बार केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे पूरा राज पाट लेकर मोहन यादव को दे दिया। खुद शिवराज सिंह चौहान ने 8 दिसंबर को राघोगढ़ की एक सभा में इस बात से संकेत भी दे दिया था।
17 साल में ये पहली बार है जब बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है वाह हारने पर नहीं जीतने पर। बता दें की शिवराज सिंह चौहान चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं। 1972 में मात्र 13 साल की उम्र से ही शिवराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। फिर एबीवीपी में आ गए, इमरजेंसी के दौरान शिवराज कुछ समय के लिए जेल भी गए।
1988 में शिवराज बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। साल 1990 में शिवराज ने बुधनी सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और पहला ही चुनाव जीत गए। इसके बाद शिवराज ने 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी लोकसभा चुनाव जीता। 2003 में बीजेपी चुनाव जीती उमा भारती सीएम बनीं, लेकिन उनका सीएम बनना पार्टी के लिए असहज भरा रहा। उमा भारती के विवादित बयानों से आलाकमान नाराज था। इस बीच 1994 में हुए हुबली दंगों के सिलसिले में उमा भारती के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो गया। इस कारण आठ महीने में ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उमा भारती के बाद बीजेपी ने बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन बाबूलाल गौर के खिलाफ पार्टी में बगावत हो गई। पार्टी ने इस बीच नया चेहरा तलाशा और आखिरकार 29 नवंबर 2005 को शिवराज को मुख्यमंत्री बनाया गया।
pc- abp news