सांसद निधि में लीकेज रोकने, पारदर्शिता लाने के लिए अब डिजिटल प्लेटफार्म बनेगा संजीवनी

Preeti Sharma | Thursday, 23 Feb 2023 03:07:34 PM
Sanjeevani will now become a digital platform to prevent leakages in MP funds and bring transparency

कार्यक्रम और कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस पारदर्शिता और एमपीलैड योजना में सुधार को बढ़ावा देने के लिए नई गाइड लाइन तैयार की है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरिंदम मोदाम का कहना है कि इससे न केवल सांसद निधि का बेहतर उपयोग हो सकेगा, बल्कि सांसद निधि से जुड़े सभी काम की स्थिति की जानकारी भी उंगलियों पर रहेगी...

संसद के सदस्य अपने क्षेत्र में हर साल पांच करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को मंजूरी देकर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को पंख लगा सकते हैं। केंद्र सरकार ने अब इस क्षेत्र में लीकेज रोकने और पारदर्शिता लाने की ठानी है। कार्यक्रम और कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस पारदर्शिता और एमपीलैड योजना में सुधार को बढ़ावा देने के लिए नई गाइड लाइन तैयार की है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरिंदम मोदाम का कहना है कि इससे न केवल सांसद निधि का बेहतर उपयोग हो सकेगा, बल्कि सांसद निधि से जुड़े सभी काम की स्थिति की जानकारी भी उंगलियों पर रहेगी।

बसपा से सांसद रितेश पांडे ने सांख्यकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की इस पहल का स्वागत किया है। पांडे ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि सभी जानकारियां समय पर उपलब्ध हो जाएं तो बहुत अच्छा होगा। इसमें जिओ टैगिंग, रीयल टाइम इंफार्मेशन, मॉनिटरिंग के विकल्प हमें काफी सहूलियत देंगे। हम इसका स्वागत करते हैं। हालांकि रितेश ने कहा कि इस संदर्भ में अभी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। न तो किसी ने संपर्क किया है और न ही कोई ई-मेल आया है।  

अप्रैल 2023 से सांसद को रहेगी पल-पल की सांसद निधि के उपयोग की जानकारी
सांख्यिकी मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह सासंद निधि के नए दिशा निर्देश को लेकर काफी उत्साहित हैं। राव इंद्रजीत सिंह के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक अप्रैल 2023 से जन प्रतिनिधि सांसद निधि का इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल एप का प्रयोग करेंगे। मोबाइल एप के जरिए जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की स्वीकृति देंगे और जिलाधिकारी उसे अग्रसारित करेगा। इसकी तैयारी अंतिम चरण में हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2016 के बाद से सांसद निधि दिशा-निर्देश में कोई सुधार नहीं हो सका था। कोरोना महामारी के कारण इसमें काफी देर हुई, लेकिन सरकार देर से ही सही लेकिन दुरुस्त आई है। नई गाइड लाइन में पुरानी खामियों से सबक लेकर काफी बदलाव किए गए हैं। जन प्रतिनिधियों समेत सभी संबंधित विभागों और राज्यों से इसमें सलाह मशविरा किया गया है। 31 मार्च तक नई गाइड लाइन के तैयार हो जाने की उम्मीद है तथा इसी आधार पर सांसद निधि का उपयोग किया जा सकेगा।

संयुक्त सचिव अरिंदम मोदाम ने उपरोक्त जानकारी की पुष्टि करते हुए कहा कि सांसद निधि का अभी तक प्रचुर उपयोग नहीं हो पाता था। इस निधि का जो हिस्सा उपयोग में नहीं आ पाता था, उसको लेकर तमाम तरह की चिंताएं थीं। लेकिन नई गाइडलाइंस आने के बाद इस तरह की सभी समस्या दूर हो जाएगी। अब इसके तीन बड़े पार्टनर होंगे। एक तो जन प्रतिनिधि हैं, जिनके अनुमोदन से सांसद निधि का प्रयोग कर उनके क्षेत्र में विकास, आधारभूत संरचना विकास के कामकाज होने हैं। दूसरा जिला प्रशासन होगा। तीसरा भारतीय स्टेट बैंक है। सांसद निधि के समुचित इस्तेमाल, वित्तीय लेन-देन, लेखा, जोखा, विकास कार्य और कामकाज तथा डाटा आदि में सहयोग के लिए टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विस) स्टेट बैंक की सहयोगी होगी।



 


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