मनुस्मृति पढ़िए, लड़कियों का 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म देना आम था : Court

varsha | Friday, 09 Jun 2023 10:02:25 AM
Read Manusmriti, it was common for girls to give birth before the age of 17: Court

अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने गर्भपात की अनुमति के लिए दायर नाबालिग बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि एक समय युवावस्था में लड़कियों की शादी होना और उनके 17 साल की उम्र से पहले संतान को जन्म देना आम बात थी।

न्यायमूर्ति समीर दवे ने संकेत दिया कि अगर लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं, तो हो सकता है कि इस याचिका को स्वीकृति न प्रदान की जाए।उन्होंने बुधवार को सुनवाई के दौरान मनुस्मृति का भी जिक्र किया।बलात्कार पीड़िता की आयु 16 साल, 11 महीने है और उसके गर्भ में सात महीने का भ्रूण पल रहा है।

पीड़िता के पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से ज्यादा हो गई है। इस अवधि के पार हो जाने के बाद अदालत की अनुमति के बिना गर्भपात नहीं कराया जा सकता है।बुधवार को पीड़िता के वकील ने मामले की जल्द सुनवाई की अपील की और कहा कि लड़की की आयु के कारण परिवार चिंचित है।

न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि चिंता इसलिए है, क्योंकि “हम 21वीं सदी में जी रहे हैं।”उन्होंने पीड़िता से कहा, “अपनी मां या दादी से पूछिए। (शादी के लिए) अधिकतम आयु 14-15 होती थी और लड़कियां 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म दे दिया करती थीं। यही नहीं, लड़कियां लड़कों से पहले परिपक्व हो जाती हैं... आपने भले ही नहीं पढ़ी होगी, लेकिन आप एक बार मनुस्मृति पढ़िए।”

न्यायाधीश ने वकील से कहा कि चूंकि, प्रसव की संभावित तिथि 16 अगस्त है, इसलिए उन्होंने अपने कक्ष में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह-मशविरा किया है।उन्होंने कहा, “अगर भ्रूण या लड़की के किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की बात सामने आती है, तभी यह अदालत (गर्भपात की अनुमति) पर विचार कर सकती है। लेकिन अगर दोनों स्वस्थ हैं, तो अदालत के लिए इस तरह का आदेश पारित करना मुश्किल होगा।”

Pc:University of Oxford



 


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