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राजस्थान कांग्रेस में असंतुष्ट गुट ने सीएलपी की बैठक बुलाने की मांग की है। यह मांग सबसे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उठाई थी और अब अपने वफादार विधायकों के साथ कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी इसका समर्थन किया है।
एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने सीएलपी की बैठक महीनों तक नहीं होने का मुद्दा उठाया और कहा, 'यह सच है कि पिछले साल सोनिया गांधी ने बैठक करने के लिए पर्यवेक्षकों को जयपुर भेजा था। दुर्भाग्य से बैठक नहीं हो सकी। मैं उसके कारणों में नहीं जाना चाहता, लेकिन आज इतने महीनों के बाद भी विधायकों की बैठक नहीं हुई है। मुझे लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष और नेतृत्व को इस पर ध्यान देना चाहिए।
पिछली बार सीएलपी की बैठक पिछले साल 25 सितंबर को बुलाई गई थी जब गहलोत गुट के विधायकों ने इसका बहिष्कार किया था और गहलोत के समर्थन में स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। तब से विधानसभा के दो सत्रों के बावजूद विधायक दल की कोई बैठक नहीं बुलाई गई है।
खाचरीवास ने कहा, 'जब पार्टी में एक ही व्यक्ति या एक समूह का दबदबा होता है तो मनमानी होती है। पार्टी और सरकार के बीच संतुलन इसे मजबूत बनाता है और उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं है। पायलट को बोलने का अधिकार है।
खाचरीवास को गहलोत के सबसे करीबी के रूप में जाना जाता है और जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के समय पायलट के खिलाफ काफी मुखर थे। खाचरियावास ने पायलट के साथ अपने मतभेदों का खंडन किया।गौरतलब है कि खाचरीवास राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बाद दूसरे मंत्री हैं जो पाला बदलते नजर आ रहे हैं।