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इंटरनेट डेस्क। राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध ऐसे मोड़ पर आ चुका है जहां से अब कुछ नया ही देखने को मिलेगा। इन दोनों के बीच सुलह के रास्ते बंद हो चुके है और उसका कारण है की आलाकमान भी इनको कई बार समझा चुका है। लेकिन दोनों है की मानने को तैयार नहीं है।
पायलट की जन संघर्ष यात्रा के बाद उनकी तीन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के पास 15 दिन का समय है और ऐसे में सरकार इनको नहीं मानती है तो पायलट सरकार के खिलाफ फिर से मैदान में उतरेंगे। ऐसे में आलाकमान को उन पर कोई ना कोई एक्शन लेना पड़ेगा।
ऐसे में वो या तो खुद पार्टी छोड़ सकते है या फिर नई पार्टी का ऐलान कर सकते है और कांग्रेस के खिलाफ मैदान में उतर सकते है। हालांकि कहा जा रहा है कि दिल्ली में भी कांग्रेस दो धड़े में बंट गई है। एक गुट पायलट पर जल्दी कार्रवाई करना चाहता है और दूसरा पायलट से सहानुभूति रखता है। वहीं, पायलट ने जिस तरह की शर्तें गहलोत सरकार के सामने रखी हैं वो रास्ता अब उन्हें अंदर नहीं बाहर ही लेकर जाता है।
pc- bhaskar