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इंटरनेट डेस्क। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर बड़ा कदम उठाया है। एनडीएन सरकार ने अब आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है। सरकार के इस कदम से अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारी भी हिस्सा ले सकेंगे। मोदी सरकार की ओर से समीक्षा कर निर्णय लिया गया कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए।
कांग्रेस ने दर्ज करवाई है अपनी आपत्ति
केन्द्र सरकार के इस कदम पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज करवाई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस संबंध में सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी बात कही है। उन्होंने ट्वीट किया कि फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है।
नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है
4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।
PC: socialnews.xyz
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