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मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य विधान परिषद की उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर विप्लव बाजोरिया को विधानसभा के ऊपरी सदन में शिवसेना का नया मुख्य सचेतक नियुक्त करने की मांग की है। इसे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को किनारे करने का एक और कदम माना जा रहा है। वर्तमान में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधान पार्षद (एमएलसी) अनिल परब सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक हैं। शिदे ने राज्य विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे को पत्र लिखा है जो ठाकरे खेमे की हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को शुरू हुआ। राज्य विधानसभा में शिवसेना के मुख्य सचेतक भरत गोगावले ने रविवार शाम को कहा था, ''हमने शिवसेना के सभी विधायकों को एक व्हिप जारी कर, उनसे पूरे बजट सत्र के दौरान उपस्थित रहने को कहा है। अगर कोई विधायक इसका पालन नहीं करता है तो उसे (महिला/पुरुष) को कार्रवाई का सामना करना होगा।’’ राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिदे खेमे के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के पास ऊपरी सदन में बहुमत में नहीं है।
प्रतिद्बंद्बी शिवसेना समूहों के बीच बढ़ते राजनीतिक और कानूनी टकराव के बीच महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पिछले सप्ताह कहा कि उन्हें निचले सदन में एक अलग पार्टी होने का दावा करने वाले किसी भी समूह से अभ्यावेदन नहीं मिला है।
अध्यक्ष ने पीटीआई-भाषा को बताया कि 55 विधायकों वाली केवल एक शिवसेना है जिसका नेतृत्व शिदे कर रहे हैं और विधायक भरत गोगावाले को इसके मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता दी गई है।
नार्वेकर ने विधायक दल के नेता के तौर पर शिंदे की नियुक्ति को स्वीकृति दी थी। मंगलवार को गोगावले ने पत्रकारों से कहा, ''हमने विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे को पत्र देकर विप्लव बाजोरिया को सदन में शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त करने की मांग की है। गोरे को इसे स्वीकार करना होगा। शिदे शिवसेना नेता हैं और मुख्य सचेतक बदलने के उनके पत्र को प्राथमिकता से स्वीकार करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग पहले ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और उसका निशान (धनुष एवं तीर) दे चुका है। गौरतलब है कि शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान शिदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. के. कौल ने उच्चतम न्यायालय की पीठ को आश्वासन दिया था कि (शिंदे गुट की ओर से) फिलहाल ठाकरे गुट के विधायकों, विधान पार्षदों (एमएलसी) और सांसदों के खिलाफ व्हिप जारी करने या अयोग्यता की कार्रवाई शुरू करने जैसा कदम नहीं उठाया जाएगा।