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कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर की मौत में सामूहिक बलात्कार की संभावना को खारिज करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एकमात्र आरोपी संजय रॉय के खिलाफ “सख्त आरोपपत्र” तैयार कर रही है।
उसका डीएनए पीड़िता के शरीर से लिए गए नमूनों से मेल खा गया है। सीबीआई के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है।
कथित हत्या के एक दिन बाद 10 अगस्त को गिरफ्तार किए गए रॉय को सेमिनार हॉल के अंदर ब्लूटूथ हेडसेट के साथ पाया गया, जहां अपराध हुआ था। रॉय (33), जो एक पूर्व नागरिक स्वयंसेवक थे, कथित तौर पर राज्य द्वारा संचालित अस्पताल में आसानी से पहुंच सकता था। 23 अगस्त को रॉय को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कोलकाता पुलिस ने उन्हें 10 अगस्त को गिरफ्तार किया, एक दिन बाद जब आरजी कर अस्पताल की चौथी मंजिल पर सेमिनार हॉल में प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिला था।
सीबीआई अधिकारियों ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि विशेषज्ञों द्वारा किए गए फोरेंसिक परीक्षणों के नतीजे भी संदिग्ध के खिलाफ गए हैं।
सीबीआई पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दबाव है, जिनकी इस अपराध को लेकर कई लोगों ने आलोचना की है। पिछले सप्ताह उन्होंने अपडेट की मांग की थी। उन्होंने कहा, "मैंने पांच दिन मांगे थे लेकिन मामला सीबीआई को भेज दिया गया। वे न्याय नहीं चाहते। वे देरी चाहते हैं। 16 दिन हो गए, न्याय कहां है?"
इस बीच, रिपोर्टों के अनुसार, रॉय ने हाल ही में अपनी वकील कविता सरकार से कहा कि वे निर्दोष हैं। रॉय ने दावा किया कि जब वे सेमिनार हॉल में दाखिल हुए तो उसने महिला को बेहोशी की हालत में पड़ा पाया। उसने कथित तौर पर कहा कि वे पीड़िता को नहीं जानता। रॉय वर्तमान में प्रेसीडेंसी जेल के एक उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में बंद हैं।
जेल अधिकारियों के अनुसार, रॉय को काफी हद तक अलग-थलग कर दिया गया है और वह घबराया हुआ लग रहा हैं, उसमे डर के लक्षण दिख रहे हैं। आरजी कर मामले ने देश और दुनिया भर में प्रमुख सुर्खियाँ बटोरी हैं। चिकित्सा पेशेवरों, लैंगिक और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं और बंगाल में विपक्षी भाजपा और कांग्रेस द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
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