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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 5 दिसंबर, 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C59 मिशन के तहत यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के Proba-3 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। पहले यह लॉन्च एक दिन के लिए टाल दिया गया था, लेकिन 4:04 बजे IST पर यह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के अनुसार, मिशन के सभी उद्देश्यों, जैसे उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करना, को सटीकता के साथ पूरा किया गया।
मिशन के उद्देश्य और उपलब्धियां
Proba-3 मिशन ESA की इन-ऑर्बिट प्रदर्शन पहलों का हिस्सा है, जिसमें दो उपग्रह शामिल हैं जो सटीक फॉर्मेशन फ्लाइंग करेंगे और मिलिमीटर स्तर की सटीकता हासिल करेंगे। ESA के अनुसार, ये उपग्रह अंतरिक्ष में कृत्रिम सूर्य ग्रहण बनाकर सूर्य के कोरोना का विस्तारित अध्ययन करने में मदद करेंगे।
लॉन्च के तुरंत बाद, ऑस्ट्रेलिया के याथरग्गा ग्राउंड स्टेशन ने उपग्रहों से सिग्नल प्राप्त करने की पुष्टि की। ESA के मिशन कंट्रोल सेंटर रेडू, बेल्जियम में डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। ESA के डायरेक्टर जनरल जोसेफ अस्चबाखर ने इस सफल प्रक्षेपण को मिशन के उद्देश्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
Proba-3 के परिचालन योजनाएं
लॉन्च के समय जुड़े हुए ये उपग्रह अपने प्रारंभिक कमीशनिंग चरण में एक साथ रहेंगे। ESA के Proba-3 मिशन मैनेजर डेमियन गैलानो के अनुसार, 2025 की शुरुआत में परिचालन चरण शुरू होगा, जिसमें व्यक्तिगत चेक-आउट और समन्वित फॉर्मेशन फ्लाइंग शामिल होगी। इस चरण में जुड़वां उपग्रहों के समन्वयित संचालन के जरिए सूर्य के कोरोना का अध्ययन किया जाएगा।
PSLV-C59: ISRO के लिए एक मील का पत्थर
यह मिशन पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की 61वीं उड़ान और इसकी PSLV-XL कॉन्फ़िगरेशन की 26वीं उड़ान थी। यह मिशन एक बार फिर ISRO के इस माध्यम-भारवाहक लॉन्च वाहन की विश्वसनीयता को दर्शाता है, जो अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प है।