GSLV-F12 ने दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया - ISRO

varsha | Monday, 29 May 2023 01:43:39 PM
GSLV-F12 placed the second generation navigation satellite in its designated orbit - ISRO

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 का सोमवार को सफल प्रक्षेपण किया।

एनवीएस-01 देश की क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली को मजबूत करेगा और सटीक एवं तात्कालिक नौवहन सेवाएं मुहैया कराएगा।चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे तीन चरणीय जीएसएलवी रॉकेट को 27.5 घंटे की उल्टी गिनती समाप्त होने पर प्रक्षेपित किया गया। यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ।

दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है क्योंकि इससे नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी और यह उपग्रह भारत एवं मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

इसरो ने बताया कि नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से उपयोगकर्ता की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है।इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस मिशन के ‘‘उत्कृष्ट परिणाम’’ के लिए पूरी टीम को बधाई दी।उन्होंने प्रक्षेपण के बाद ‘मिशन नियंत्रण केंद्र’ से कहा, ‘‘एनवीएस-01 को जीएसएलवी ने उसकी कक्षा में सटीकता से स्थापित किया। इस मिशन को संभव बनाने के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई।’’

उन्होंने अगस्त 2021 में प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक चरण में पैदा हुई विसंगति का जिक्र करते हुए कहा कि आज की सफलता जीएसएलवी एफ10 की ‘‘विफलता’’ के बाद मिली है।उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि ‘‘क्रायोजेनिक चरण में सुधार और सीखे गए सबक से वास्तव में लाभ हुआ है’’। उन्होंने समस्या के समाधान का श्रेय ‘विफलता विश्लेषण समिति’ को दिया।

सोमनाथ ने कहा कि एनवीएस-01 दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है, जिसमें कई अतिरिक्त क्षमताएं है। उन्होंने कहा कि इससे मिलने वाले संकेत अधिक सुरक्षित होंगे और इसमें असैन्य फ्रिक्वेंसी बैंड उपलब्ध कराये गए हैं। यह इस प्रकार के पांच उपग्रहों में से एक है।प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया।एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण लेकर गया है। दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी होगी।

इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया।अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है।इसरो ने विशेषकर नागरिक विमानन क्षेत्र और सैन्य आवश्यकताओं के संबंध में स्थिति, नौवहन और समय संबंधी जानकारी से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नाविक प्रणाली विकसित की है। नाविक को पहले भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के नाम से जाना जाता था।

Pc:प्रभासाक्षी



 


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