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भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्तारूढè दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी आज यहां अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस की विधिवत सदस्यता लेंगे। विधानसभा चुनाव के इस वर्ष में श्री जोशी का कांग्रेस के पाले में जाना महत्वपूर्ण राजनैतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है।
श्री जोशी के स्वागत की तैयारियों के लिए यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैनर पोस्टर भी लगाए गए हैं। इसके पहले श्री जोशी कल फिर अपने गृह जिला देवास में मीडिया के सामने दोहराया कि वे कांग्रेस की सदस्यता लेने के अपने फैसले पर अडिग हैं। इस दौरान उन्होंने सत्तारूढè दल भाजपा और उसके नेताओं पर अनेक आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी और उनके परिवार की लगतार उपेक्षा की जा रही है।
श्री जोशी ने आज ट््वीट के जरिए अपने इरादे भी जाहिर करते हुए लिखा है,''समय ही हर बात सिद्ध करेगा। ईमानदारी मेरी विरासत है, मेरी पूंजी है, वो मेरे साथ है। प्रणाम पिताजी, जय हिद। जय परशुराम। जय श्रीराम।''इसके पहले केंद्र और राज्य में सत्तारूढè दल भाजपा ने श्री जोशी को भाजपा में बनाए रखने के भरसक प्रयास किए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। श्री जोशी ने एक मई को सार्वजनिक तौर पर बगावती तेवर दिखाते हुए कांग्रेस में जाने के संकेत दे दिए थे। इसके बाद से उन्हें मनाने के लिए अनेक वरिष्ठ नेताओं ने श्री जोशी से बात की, लेकिन वे नहीं माने और अपनी शिकायतें भी नेताओं के समक्ष दर्ज करायीं।
देवास जिले के बागली और हाटपीपल्या विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके श्री जोशी काफी दिनों से प्रदेश भाजपा संगठन से नाराज चल रहे थे और उन्होंने एक मई को अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर व्यक्त करते हुए कांग्रेस का दामन थामने के संकेत दिए थे। श्री जोशी, शिवराज सिह चौहान सरकार में वर्ष 2०18 के पहले तकनीकी शिक्षा मंत्री भी रहे हैं।
लगभग साठ वर्षीय श्री जोशी, भाजपा के वरिष्ठ, संत छवि के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कैलाश जोशी के पुत्र हैं। वे शुरूआत से ही भाजपा से जुड़े रहे। माना जा रहा है कि श्री दीपक जोशी कांग्रेस में जाने के बाद देवास जिले की हाटपीपल्या विधानसभा सीट से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। श्री दीपक जोशी के पिता एवं जनसंघ के संस्थापकों में शामिल श्री कैलाश जोशी इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और उनकी छवि बेहद साफ सुथरी और ईमानदार व्यक्ति के रूप में रही है। अब भी पुराने राजनेता उनकी कार्यशैली और ईमानदारी की मिसाल अक्सर देते हैं।
राजनैतिक प्रेक्षकों का कहना है कि श्री जोशी का सत्तारूढè भाजपा को छोड़ना और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में जाना निश्चित ही भाजपा के लिए बड़ा झटका है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए अब लगभग छह माह ही शेष हैं। ऐसी स्थिति में श्री जोशी के कदम के बाद भाजपा के कुछ अन्य कथित असंतुष्ट नेताओं पर भी भाजपा के रणनीतिकारों की निगाहें टिकी हुयी हैं। इनमें से एक इंदौर के भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन की सार्वजनिक बयानबाजी भी मीडिया की सुर्खियां बटोर रही हैं। वे अपने बयानों के जरिए भाजपा की कार्यप्रणाली और नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
इसके अलावा इंदौर से ही आने वाले एक अन्य नेता एवं पूर्व विधायक भंवर सिह शेखावत के बयान भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वे मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिधिया और उनके समर्थक नेताओं पर सार्वजनिक तौर पर निशाना साध रहे हैं। श्री शेखावत बाहर से भाजपा में आए नेताओं और भाजपा के निष्ठावान नेताओं को लेकर अपने बयान देकर अचानक चर्चा में आए हैं। इसके अलावा एक अन्य पूर्व विधायक एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी कथित तौर पर अपनी''उपेक्षा'’के कारण नाराज बताए जा रहे हैं, हालाकि उन्होंने अपनी कथित नाराजगी को अब तक सार्वजनिक तौर पर अभिव्यक्त नहीं किया है।
Pc:ABP News