Congress:-न्यायालय ने वाराणसी की अदालत से 23 साल पुराने मामले में सुरजेवाला को आरोपपत्र की प्रति देने का निर्देश दिया

varsha | Monday, 17 Apr 2023 02:22:00 PM
Congress:- SC directs Varanasi court to give Surjewala copy of chargesheet in 23-year-old case.

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वाराणसी की एक सुनवाई अदालत को 23 साल पुराने एक आपराधिक मामले में आरोपी कांग्रेस सांसद रणदीप सिह सुरजेवाला के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 20 मार्च के आदेश के खिलाफ सुरजेवाला द्बारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने वाराणसी की एक अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था।


उच्च न्यायालय ने हालांकि निर्देश दिया था कि यदि सुरजेवाला निचली अदालत के समक्ष बरी होने के लिए आवेदन दाखिल करते हैं, तो उस पर छह सप्ताह के भीतर शीघ्रता से विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा।उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सुरजेवाला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिघवी की दलील पर गौर किया कि मुकदमा 20 साल से अधिक समय से लंबित है और उनके मुवक्किल को आरोपपत्र की प्रति भी नहीं दी गई है।


पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यामूर्ति विक्रम नाथ हैं। पीठ ने कहा ''हमारे विचार में जब तक याचिकाकर्ता को आरोपपत्र की प्रति न दी जाए तब तक उसके बरी करने के अनुरोध वाले आवेदन पर सुनवाई की अनुमति देना न्याय के हित में नहीं होगा।’’पीठ ने कहा ''हम निचली अदालत के न्यायाधीश को आरोपपत्र की प्रति देने और उसके बाद कानून के अनुसार मामले की सुनवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं।’’शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कुछ भी नहीं कहा है।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि दो महीने की अवधि तक या बरी किए जाने के अनुरोध वाले उनके आवेदन के निस्तारण तक, जो भी पहले हो, राज्यसभा सांसद के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए।यह मामला 2000 का है जब युवा क ांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरजेवाला पर वाराणसी में संवासिनी मामले में क ांग्रेस नेताओं को कथित तौर पर फंसाने के विरोध में हंगामा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।


सुरजेवाला के आवेदन का आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 (उच्च न्यायालय की निहित शक्तियां) के तहत निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कहा, ''रिकॉर्ड पर सामग्री के अवलोकन से और मामले के तथ्यों को देखते हुए, इस स्तर पर, यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।’’सुरजेवाला 21 अगस्त, 2000 को वाराणसी में आयोजित एक प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। यह प्रदर्शन, एक सुधारगृह की महिला कैदियों से संबधित संवासिनी प्रकरण में कांग्रेस नेताओं को कथित तौर पर फंसाने के विरोध में हो रहा था।


प्रदर्शन के दौरान, क ांग्रेस नेता ने अपने समर्थकों के साथ संपत्ति को कथित तौर पर नुकसान पहुंचाया, पथराव किया और लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका।
उनके और अन्य के खिलाफ वाराणसी के कैंट थाने में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। फिलहाल उनके खिलाफ वाराणसी की सांसद/विधायक अदालत में सुनवाई चल रही है। 



 


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