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pc: patrika
आज भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्मदिन है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा राज्य के उपरबेड़ा गाँव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं द्रौपदी मुर्मू कितनी पढ़ी लिखी है।
द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी समुदाय से आती हैं। उनके पिता पंचायत प्रमुख थे, फिर भी उनका सफर आसान नहीं था। गरीबी से जूझते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम किया। पढ़ाने के प्रति अपने जुनून के कारण द्रौपदी मुर्मू ने लंबे समय तक शिक्षिका के तौर पर काम किया और रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में अपना योगदान दिया।
राजनीतिक सफर की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू ने 27 साल पहले वार्ड पार्षद के तौर पर इस लंबी यात्रा की शुरुआत की थी। 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत का चुनाव जीता और वार्ड पार्षद बनीं और फिर नगर पंचायत की उपाध्यक्ष बनीं। वार्ड पार्षद के तौर पर अपनी भूमिका निभाने के बाद द्रौपदी मुर्मू विधायक बनीं और कदम दर कदम सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं।
मंत्री पद संभालने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने वाणिज्य और परिवहन विभाग के साथ-साथ मत्स्य पालन और पशु संसाधन विभाग का भी कार्यभार संभाला। 18 मई 2015 को उन्होंने पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल के रूप में शपथ ली। वह झारखंड की पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने अपने पद से हटाए बिना अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। द्रौपदी मुर्मू ने 18 मई 2015 से शुरू होकर छह साल, एक महीने और अठारह दिनों तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई, 2022 को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली
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