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PC:tv9marathi
यदि किसी व्यक्ति में पितृ दोष हो तो उसे अनेक समस्याओं और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी उस व्यक्ति को अपने करियर में सफलता हासिल नहीं होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस प्रकार ईश्वर की कृपा के बिना व्यक्ति जीवन में तरक्की नहीं कर सकता, उसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति के पूर्वज उससे नाराज हैं तो उसके कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
यदि पितृ दोष हो तो उससे मुक्ति पाना आवश्यक है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए लोग अक्सर तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, लेकिन पितृ दोष के पीछे का कारण जानना जरूरी है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति की छोटी-छोटी गलतियां भी पितृ दोष का कारण बन सकती हैं। आइए जानें पितृ दोष के कारण और इससे मुक्ति के उपायों के बारे में।
पितृ दोष के कारण क्या हैं?
पितृ दोष का पहला कारण यह है कि यदि परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है और उसका अंतिम संस्कार या तर्पण विधि-विधान से नहीं किया जाता है, तो उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है और मृत व्यक्ति की आत्मा को कष्ट उठाना पड़ता है। इसलिए घर के मुखिया को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है।
पितृ दोष का एक और मुख्य कारण यह है कि यदि किसी भी जातक की जन्म कुंडली में केतु सूर्य के साथ दूसरे, आठवें और दसवें भाव में आ जाए तो पितृ दोष होता है। यदि पैतृक दोषों को दूर करने के उपाय नहीं किए जाते तो वे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं। इसलिए सभी पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, हवन और पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करना आवश्यक है।
इसके अलावा कुछ अन्य गलतियों के कारण भी यह व्यक्ति पितृ दोष से ग्रस्त होता है। आइये जानें वे गलतियां क्या हैं।
पूर्वजों या परिवार के बुजुर्गों का अपमान करने से पितृ दोष हो सकता है।
पीपल, नीम और बरगद के पेड़ों को काटने से पितृ दोष उत्पन्न होता है।
यदि घर में रोजाना लड़ाई-झगड़े होते हों तो भी पितृ दोष होता है।
किसी भी जानवर या सांप को मारने से पितृ दोष हो सकता है।
पितृ दोष से मुक्ति के कुछ उपाय
पितृ पापों से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। इस समय उनका श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और पितृ पापों से भी मुक्ति मिलती है।
नाराज पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ पर काले तिल मिला दूध चढ़ाएं। साथ ही अक्षत और पुष्प अर्पित कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
अमावस्या के दिन शाम को घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृ श्राप दूर होता है और आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
Disclaimer: This Content Has Been Sourced And Edited From tv9marathi