Offbeat: कौरवों के मामा थे शकुनि तो कौन थे पांडवों के मामा? जिन्होंने महाभारत में दिया था दुर्योधन का साथ

varsha | Friday, 27 Sep 2024 12:18:54 PM
Who was the uncle of the Pandavas?, who supported Duryodhana in the Mahabharata war

PC: asianetnews

महाभारत में श्रीकृष्ण के मामा कंस और कौरवों के मामा शकुनि के बारे में तो हम सभी ने सुना है और जानते भी हैं लेकिन क्या आपने पांडवों के मामा के बारे में कभी सुना है? इस बात को जानकर आपको हैरानी होगी कि पांडवों के इन मामा ने युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। तो आखिर पांडवों के मामा कौन थे उन्होंने कौरवों का साथ क्यों दिया? आइए जानते हैं। 

कौन थे राजा शल्य?
महाभारत के अनुसार, राजा पांडु की दो पत्नियाँ थीं: उनकी पहली पत्नी कुंती थी और दूसरी पत्नी माद्री थी। माद्री के भाई राजा शल्य थे, जो मद्र राज्य के शासक थे। नकुल और सहदेव कुंती के नहीं, बल्कि माद्री के बेटे थे। इस वजह से, नकुल, सहदेव, साथ ही युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन सभी राजा शल्य के साथ वैसा ही सम्मान करते थे जैसा वे अपने मामा के साथ करते थे।

दुर्योधन ने चली चाल
जब राजा शल्य को इस बात के बारे में पता चला कि कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडवों और कौरवों में युद्ध होने वाला है तो वे अपनी विशाल सेना लेकर पांडवों की मदद के लिए निकले। दुर्योधन चाहता था कि राजा शल्य उनके पक्ष में आ जाए। इसके लिए उसने एक चाल चली और राजा शल्य के आने वाले रास्ते पर विशाल भवन बनवा दिए और सुख-सुविधाएं वाली चीजें रखवा दीं।

दुर्योधन ने फिर कही ये बात
राजा शल्य की सेना जहां भी पड़ाव डालती, दुर्योधन वहां पर उनके रहने खाने का बेहद ही जबरदस्त बंदोबस्त करता। राजा शल्य को लगता था कि ये सब युधिष्ठिर करवा रहा है। एक दिन राजा शल्य को खुश देख कर दुर्योधन उनके सामने आया और बोला कि  – ‘आप युद्ध में मेरी सहायता कीजिए।’ चूंकि राजा शल्य वचन दे चुके थे, इसलिए उन्हें दुर्योधन की बात माननी पड़ी।

पांडवों के पक्ष में नहीं लड़ा युद्ध
चूँकि राजा शल्य दुर्योधन को वचन दे चुके थे इसलिए  वे पांडवों से मिलने उनके शिविर में गए। वहां उन्होंने पूरी बात युधिष्ठिर को बताई। नकुल और सहदेव ये जानकर काफी दुखी हुए, लेकिन युधिष्ठिर ने राजा शल्य से कहा कि आप अपना वचन पूरा करें और  जब आप कर्ण के सारथि बनें तो उसे हतोत्साहित करें जिस से अर्जुन उसे आसानी से मार सके।

कर्ण के सारथि बनकर शल्य ने चली चाल
जब दुर्योधन ने कर्ण को सेनापति बनाया तो उन्हें एक योग्य सारथि की भी जरूरत थी। इसके लिए राजा शल्य को चुना गया। राजा शल्य ने कर्ण के सामने अर्जुन की बहुत तारीफ की, जिससे कर्ण का मनोबल टूट गया और अर्जुन ने उनका वध कर दिया।

दुर्योधन ने बनाया सेनापति
कर्ण की जब मृत्यु हो गई तो दुर्योधन ने राजा शल्य को कौरव सेना का सेनापति बनाया। सेनापति बनते ही राजा शल्य ने पांडवों की सेना का नाश करना शुरू कर दिया। तब उनसे युद्ध करने के लिए स्वयं युधिष्ठिर को आना पड़ा। शल्य और युधिष्ठिर के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राजा शल्य की मृत्यु हो गई।

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