कौन है महादेव के भी आराध्य देव जिनके ध्यान में हमेशा रहते हैं लीन, जानें यहाँ

Samachar Jagat | Monday, 30 Sep 2024 03:24:27 PM
Who is the worshipable deity of Mahadev in whose meditation he is always absorbed, know here

PC: INDIA NEWS

भगवान शिव को सृष्टि का संहारकर्ता कहा जाता है। वे त्रिमूर्ति में से एक हैं, जिनमे वे संहारकर्ता, भगवान विष्णु पालनहार और ब्रह्मा जी सृष्टि के रचनाकार हैं।

शिव जी के बारे में आपने हमेशा सुना होगा कि वे ध्यानमग्न रहते हैं। किंतु एक सवाल अक्सर उठता है कि महादेव जब ध्यान में होते हैं, तो वे किसका ध्यान करते हैं? इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। 

पद्मपुराण की कथा

पद्मपुराण के अनुसार, एक दिन माता पार्वती ने महादेव से पूछा, “स्वामी! जब आप ध्यान में लीन होते हैं, तो आप किसका ध्यान करते हैं?” महादेव ने इस प्रश्न का उत्तर देने में थोड़ा समय लिया और फिर जवाब दिया। 

महादेव ने ऋषि बुध कौशिक को सपने में दर्शन दिए और राम रक्षा स्तोत्र लिखने को कहा। बुध कौशिक ने विनम्र भाव से महादेव से कहा कि वे स्तोत्र को लिखने में सक्षम नहीं हैं। तब भगवान शिव ने उन्हें सपने में खुद ही पूरा राम रक्षा स्तोत्र सुनाया, जिसे अगले दिन ऋषि ने लिपिबद्ध कर दिया।

इसके कुछ दिन बाद, महादेव ने माता पार्वती के सवाल का जवाब देते हुए कहा- “प्रिय, मैं जब ध्यान में होता हूं, तब मैं राम नाम का जप करता हूं।”

राम नाम का महत्व

माता पार्वती ने शिव जी से कहा, “स्वामी! राम जी तो विष्णु जी के अवतार हैं, फिर आप विष्णु जी का स्मरण करने के बजाय उनके अवतार राम का जप क्यों करते हैं?” इस पर भगवान शिव ने उत्तर दिया, “जैसे एक प्यासा इंसान जल की कीमत जानता है और उसके लिए व्याकुल रहता है, वैसे ही मैं राम नाम के लिए व्याकुल रहता हूं। राम नाम सहस्त्र नामों के बराबर है, मेरे लिए ये ही सबसे पवित्र और शक्तिशाली है। श्री राम के नाम के जप से सारे पापों का नाश होता है, इसलिए मैं सदैव राम नाम का जप करता हूं।”

शिव-राम का परस्पर पूरक संबंध

रामायण के अनुसार  भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले रामेश्वरम में महादेव के लिंग स्वरूप की पूजा की थी, तब उन्होंने भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। यह आज रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है। इस से पता चलता है कि भगवान राम भी शिव जी के अनन्य भक्त थे।

कहते हैं कि शिव और राम एक-दूसरे के पूरक हैं। जो भी भक्त भगवान शिव का नाम लेता है, वह भगवान राम का भी भक्त होता है और जो राम नाम का जप करता है, वह भगवान शिव को भी पूजता है। 

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