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महाभारत में कुछ योद्धा ऐसे भी हैं जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। ऐसा ही एक पात्र है एकलव्य। आपको इस बात की जानकारी होगी कि गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उनका अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में मांगा था। लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि अंगूठा देने के बाद एकलव्य का क्या हुआ।
कौन था एकलव्य?
एकलव्य निषादों के राजा हिरण्य धनु का पुत्र था, उनका असली नाम अभिद्युम्न था। एकलव्य क्षत्रियों की तरह धनुष-बाण चलाने में पारंगत होना चाहता था। इसलिए उनके पिता उन्हें गुरु द्रोणाचार्य के पास गए, लेकिन निम्न जाति का होने के कारण गुरु द्रोणाचार्य ने उसे धनुर्विधा सिखाने से मना कर दिया। ऐसा होने पर एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य को क्षत्रियों को शस्त्र विद्या देते हुए छिप छिप कर देखने लगा और अभ्यास करने लगा।
जब एकलव्य ने कुत्ते को मारे बाण
एक बार जब गुरु द्रोण अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कुत्ते के मुँह में बहुत सारे बाण लगे हैं। उन्हें इस बात का आभास था कि ऐसा काम कोई बड़ा धनुर्धर ही कर सकता है। ऐसे में वे उस धनुर्धर की तलाश करने लगे । वन में जाकर उन्होंने देखा कि एक युवक उनकी प्रतिमा के सामने बाण चलाने का अभ्यास कर रहा है।
एकलव्य से मांगा अंगूठा
जब गुरु द्रोणाचार्य ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम एकलव्य बताया और उन्हें पूरी बात बता दी। गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन को पहले ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनने का वरदान दे चुके थे। लेकिन एकलव्य की धनुर्विद्या को देखकर वे समझ गए कि वह अर्जुन के समान ही बड़ा धनुर्धर है। इसलिए उन्होंने एकलव्य से उनका अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में मांग लिया।
अंगूठा काटने के बाद एकलव्य का क्या हुआ?
अंगूठा कटने के बाद भी एकलव्य अंगुलियों से तीर चलाने का अभ्यास करने लगा। इसमें भी वह माहिर हो गया। युवा होने पर एकलव्य मगध के राजा जरासंध की सेना में शामिल हो गया। जरासंध भगवान श्रीकृष्ण को अपना दुश्मन मानता था। जरासंध ने कईं बार मथुरा पर हमला किया। ऐसे में उनकी सेना में होने के कारण एकलव्य ने भी द्वारिका की सेना को बहुत नुकसान पहुंचाया।
कैसे हुई एकलव्य की मृत्यु?
एक बार जब जरासंध ने मथुरा पर हमला किया तो एकलव्य ने कई योद्धाओं को मार दिया। ये देख श्रीकृष्ण को स्वयं उससे युद्ध करने आना पड़ा। श्रीकृष्ण और एकलव्य के बीच युद्ध हुआ, जिसमें एकलव्य मारा गया।
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