केरला की सच्ची स्टोरी,  वीरांगना नगेली कौन?? 

epaper | Friday, 26 May 2023 08:02:44 AM
True Story of Kerala, Who is Veerangana Nangeli??

हम प्रत्येक शनिवार को महिला दिवस के रूप में मनाएंगे और क्रांतिकारी महिलाएं जैसे कि वीरांगना फूलन देवी और वीरांगना नगेली, वीरांगना झलकारी बाई कोरी को नमन करेंगें और उनके जीवन संघर्षों को जन जन तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। 

‼️जब हिन्दू धर्म में महिलाओं को स्तन ढकने का भी  अधिकार नहीं था इसलिए स्तन ही काट दिया ‼️

नंगेली का नाम केरल के बाहर शायद किसी ने न सुना हो. किसी स्कूल के इतिहास की किताब में उनका ज़िक्र या कोई तस्वीर भी नहीं मिलेगी.

लेकिन उनके साहस की मिसाल ऐसी है कि एक बार जानने पर कभी नहीं भूलेंगे, क्योंकि नंगेली ने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने ही स्तन काट दिए थे.

केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी ये लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी कहानी उस समय की है जब केरल के बड़े भाग में त्रावणकोर के राजा का शासन था.

जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी थीं और निचली जातियों की महिलाओं को उनके स्तन न ढकने का आदेश था. उल्लंघन करने पर उन्हें 'ब्रेस्ट टैक्स' यानी 'स्तन कर' देना पड़ता था.

डॉ.शीबा
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा केएम बताती हैं कि ये वो समय था जब पहनावे के कायदे ऐसे थे कि एक व्यक्ति को देखते ही उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी.

डॉ. शीबा कहती हैं, "ब्रेस्ट टैक्स का मक़सद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था. ये एक तरह से एक औरत के निचली जाति से होने की कीमत थी. इस कर को बार-बार अदा कर पाना इन ग़रीब समुदायों के लिए मुमकिन नहीं था."

केरल के हिंदुओं में जाति के ढांचे में नायर जाति को शूद्र माना जाता था जिनसे निचले स्तर पर एड़वा और फिर दलित समुदायों को रखा जाता था.

दलित समुदाय
उस दौर में दलित समुदाय के लोग ज़्यादातर खेतिहर मज़दूर थे और ये कर देना उनके बस के बाहर था. ऐसे में एड़वा और नायर समुदाय की औरतें ही इस कर को देने की थोड़ी क्षमता रखती थीं.

डॉ. शीबा के मुताबिक इसके पीछे सोच थी कि अपने से ऊंची जाति के आदमी के सामने औरतों को अपने स्तन नहीं ढकने चाहिए.

वो बताती हैं, "ऊंची जाति की औरतों को भी मंदिर में अपने सीने का कपड़ा हटा देना होता था, पर निचली जाति की औरतों के सामने सभी मर्द ऊंची जाति के ही थे. तो उनके पास स्तन ना ढकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था."

इसी बीच एड़वा जाति की एक महिला, नंगेली ने इस कर को दिए बग़ैर अपने स्तन ढकने का फ़ैसला कर लिया.

केरल के चेरथला में अब भी इलाके के बुज़ुर्ग उस जगह का पता बता देते हैं जहां नंगेली रहती थीं.

मोहनन नारायण 
ऑटो चलाने वाले मोहनन नारायण हमें वो जगह दिखाने साथ चल पड़े. उन्होंने बताया, "कर मांगने आए अधिकारी ने जब नंगेली की बात को नहीं माना तो नंगेली ने अपने स्तन ख़ुद काटकर उसके सामने रख दिए."

लेकिन इस साहस के बाद ख़ून ज़्यादा बहने से नंगेली की मौत हो गई. बताया जाता है कि नंगेली के दाह संस्कार के दौरान उनके पति ने भी अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी.

नंगेली का जन्म स्थान
नंगेली की याद में उस जगह का नाम मुलच्छीपुरम यानी 'स्तन का स्थान' रख दिया गया. पर समय के साथ अब वहां से नंगेली का परिवार चला गया है और साथ ही इलाके का नाम भी बदलकर मनोरमा जंक्शन पड़ गया है.

बहुत कोशिश के बाद वहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रह रहे नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू का पता मिला.

मणियन
साइकिल किनारे लगाकर मणियन ने बताया कि नंगेली के परिवार की संतान होने पर उन्हें बहुत गर्व है.

उनका कहना था, "उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि सारी औरतों के लिए ये कदम उठाया था जिसका नतीजा ये हुआ कि राजा को ये कर वापस लेना पड़ा."

लेकिन इतिहासकार डॉ. शीबा ये भी कहती हैं कि इतिहास की किताबों में नंगेली के बारे में इतनी कम पड़ताल की गई है कि उनके विरोध और कर वापसी में सीधा रिश्ता कायम करना बहुत मुश्किल है.
वो कहती हैं, "इतिहास हमेशा पुरुषों की नज़र से लिखा गया है, पिछले दशकों में कुछ कोशिशें शुरू हुई हैं महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने की, शायद उनमें कभी नंगेली की बारी भी आ जाए और हमें उनके साहसी कदम के बारे में विस्तार से और कुछ पता चल पाए."

Article Credit:- Dablu Kumar Ambedkar FB



 


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