कल नवरात्रि का नौवां दिन, जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ समय, विधि, आरती और कन्या पूजन

Trainee | Thursday, 10 Oct 2024 05:49:04 PM
Tomorrow is the ninth day of Navratri, know the auspicious time, method, Aarti and Kanya Pujan of Maa Siddhidatri

शारदीय नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा विधिपूर्वक करने से भक्तों को भय और रोग से मुक्ति मिलती है। इस दिन कन्याओं की पूजा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व: इस दिन को राम नवमी और महानवमी भी कहा जाता है। यह दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप को समर्पित है। भक्तगण इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और कन्याओं को भोजन भी अर्पित करते हैं। इससे मां दुर्गा का आशीर्वाद भक्तों पर बना रहता है। यह विश्वास है कि मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों को सिद्धि एवं मोक्ष प्राप्त होता है।

पूजा तिथि और मुहूर्त: वेदिक पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि शुक्रवार, 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे प्रारंभ होगी और शनिवार, 12 अक्टूबर को रात 10:58 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार नवमी तिथि का उत्सव शुक्रवार, 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्वामी तिथि पर कन्या पूजन का शुभ समय सुबह 7:44 बजे से 10:37 बजे तक रहेगा। वहीं, नवमी तिथि पर कन्या पूजन का शुभ समय रात 2:00 बजे से 2:45 बजे तक रहेगा। इसके अलावा 11:45 बजे से 12:30 बजे तक भी एक और मुहूर्त है, जिसमें कन्या पूजन किया जा सकता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि: मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले कलश की पूजा करें और सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें। मां को मौली, रोली, कुमकुम, फूल और चुनरी अर्पित करें और श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करें। इसके बाद, मां को पूरी, खीर, चना, हलवा और नारियल अर्पित करें। इसके बाद, मां के मंत्र का जप करें और एक लड़के के साथ नौ कन्याओं को भोजन कराएं।

मां सिद्धिदात्री का भोग: मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूरी, हलवा, खीर और नारियल प्रिय हैं। मान्यता है कि नवमी के दिन इन चीजों का भोग अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं।

कन्या पूजन विधि: महानवमी के दिन कन्याओं की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। कन्याओं की पूजा से पहले उनके पैरों को स्वच्छ जल से धोकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। फिर उन पर चंदन और कुमकुम का तिलक करें और पवित्र धागा बांधें। कन्याओं को स्कार्फ और चूड़ियां पहनाएं और उन्हें भोजन कराएं। अंत में उन्हें दक्षिणा और उपहार दें और उनका आशीर्वाद लें।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र: सिद्धगन्धर्वयक्षद्यैर्सुरैरमरैररिपि,
सेव्यमा सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री की आरती: जय सिद्धिदात्री मां, आप सफलता की दात्री।
आप भक्तों की रक्षा करती हैं, आप दासों की मां।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व: नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। साथ ही, इस पूजा से भक्तों को धन, प्रसिद्धि, शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियाँ प्राप्त की थीं, जिसके कारण उनका शरीर देवी का आधा बन गया, इसलिए भगवान शिव को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।

इस नवमी पर मां सिद्धिदात्री का विधिपूर्वक पूजन करें और कन्या पूजन का विशेष ध्यान रखें। मां का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहे।

 

 

 

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