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सरकार ने मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच संतुलन बनाए रखने और अनुचित किराया बढ़ोतरी रोकने के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये कानून किरायेदारों को अधिकार और सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे उनका जीवन अधिक सहज और सुरक्षित बन सके।
मकान मालिक और किरायेदारों के बीच आम समस्याएं
शहरीकरण के चलते लोग बड़े शहरों में किराए पर रहने के लिए मजबूर होते हैं। हालांकि, किराया बढ़ाने की मनमानी और अन्य समस्याओं का सामना करना आम है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने किराएदारी से जुड़े कानूनों को सख्त बनाया है।
महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट
- किराया बढ़ोतरी सीमा: हर साल अधिकतम 4%।
- मरम्मत पर खर्च: किराए में 15% तक की वृद्धि हो सकती है।
- टैक्स वृद्धि: टैक्स बढ़ने पर भी किराया बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सीमा में।
दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट 2009
- किराया वृद्धि सीमा: हर साल 7% तक।
- छात्रावास और बोर्डिंग हाउस: किराया वृद्धि पर सख्त नियंत्रण।
- लंबे समय तक रह रहे किरायेदारों को अचानक अधिक किराया नहीं देना होगा।
उत्तर प्रदेश किरायेदारी विनियमन अध्यादेश 2021
- आवासीय भवन: 5% वार्षिक वृद्धि।
- गैर-आवासीय भवन: 7% वार्षिक वृद्धि।
- किराया भुगतान छूट: अधिकतम 2 महीने।
किरायेदारों के अधिकार और सुरक्षा
सरकार के ये नए नियम किरायेदारों को अनुचित बढ़ोतरी और खाली करने के दबाव से बचाने में मदद करेंगे। किरायेदारों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना जरूरी है, ताकि वे किसी भी समस्या का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकें।