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नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स छूट: वित्त वर्ष 2023-24 में कई सालों के बाद सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब को लेकर सीधी छूट दी है. जिन करदाताओं की वार्षिक आय 7 लाख रुपये से कम है, वे नई कर व्यवस्था में अपनी पूरी आय पर कर बचा सकते हैं। जिनमें से
नई टैक्स व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है. नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह बड़ी राहत की बात है। जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये से कम है, वे इस व्यवस्था में अपनी पूरी आय पर टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन, अगर मैं आपसे कहूं कि यह रेंज 7 नहीं, बल्कि 7.5 लाख रुपये है, तो यकीन नहीं होगा।
वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने कई सालों के बाद इनकम टैक्स स्लैब को लेकर सीधी छूट दी है. नई टैक्स व्यवस्था भले ही दो साल पहले लागू हुई हो, लेकिन सही मायने में इसके दिन अब लद चुके हैं। बजट में नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट रूप से लागू करने की घोषणा की गई है. अभी तक पुरानी टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट रूप से लागू होती थी। इसका मतलब यह है कि अब आप अपने एचआर को यह नहीं बताते कि कौन सी व्यवस्था चुननी है, तो डिफ़ॉल्ट रूप से आपकी आयकर गणना नई व्यवस्था के साथ शुरू हो जाएगी। अगर आप पुरानी व्यवस्था से टैक्स चुकाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने एंप्लॉयर को इसकी जानकारी देनी होगी।
किसे लाभ मिलेगा
वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान पर्सनल टैक्स की जानकारी दी तो उन्होंने नई टैक्स व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री कर दी. पहले यह सीमा 5 लाख रुपए थी। कंफ्यूजन यह है कि अगर 7 लाख रुपये की आय को टैक्स फ्री कर दिया जाए तो 7.5 लाख रुपये कमाने वालों को कितना टैक्स देना होगा. सरकार ने टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया और 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी दिया। इस तरह कुल 7.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री हो गई.
अगर कमाई 7.5 लाख से ज्यादा है
अगर किसी की सालाना आय 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है और वह बचत का विकल्प अपना रहा है तो उसे नई टैक्स व्यवस्था से दूर रहना चाहिए। दरअसल, पुरानी व्यवस्था में टैक्स छूट केवल 5 लाख तक ही दी जाती है। इससे ज्यादा आय पर निवेश के रूप में टैक्स बचाना होता है।
जो लोग बढ़ती महंगाई में निवेश नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें नई व्यवस्था अपनानी चाहिए। इसमें 7.5 लाख की टैक्स छूट लेने के बाद भी अगर आपकी आय ज्यादा है तो उस पर टैक्स की दर कम होगी. इसके अलावा नई व्यवस्था में 3 लाख तक का टैक्स शून्य रखा गया है, जिससे आप टैक्स के रूप में कई हजार की बचत कर सकेंगे.