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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आधार कार्ड को लेकर एक अहम निर्णय सुनाया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को केवल पहचान प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे उम्र प्रमाणित करने के लिए मान्य दस्तावेज नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें आधार कार्ड के आधार पर सड़क दुर्घटना के पीड़ित की उम्र का निर्धारण किया गया था।
आधार कार्ड से उम्र का निर्धारण नहीं होगा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान प्रमाण के लिए किया जा सकता है। यह जन्म तिथि या उम्र के प्रमाण के लिए वैध दस्तावेज नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात स्पष्ट की कि उम्र प्रमाण के लिए स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र या अन्य कानूनी दस्तावेजों का उपयोग किया जाना चाहिए।
किशोर न्याय अधिनियम का पालन अनिवार्य
अदालत ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 का हवाला देते हुए कहा कि उम्र निर्धारण स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दर्ज जन्म तिथि के आधार पर ही किया जाना चाहिए। आधार कार्ड को इसके लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट का फैसला रद्द और एमएसीटी का फैसला बहाल
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सड़क दुर्घटना के मामले में आधार कार्ड के आधार पर उम्र का निर्धारण करते हुए मुआवजा घटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) के फैसले को बहाल कर दिया, जिसमें उम्र का सही निर्धारण स्कूल प्रमाण पत्र के आधार पर किया गया था।
कानूनी दस्तावेजों का उपयोग अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि उम्र प्रमाणित करने के लिए केवल मान्य और कानूनी दस्तावेजों का उपयोग किया जा सकता है। यह निर्णय भविष्य के मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।