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हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व है और इस दिन स्नान करने से बहुत लाभ मिलता है। सभी अमावस्याओं में सोमवती अमावस्या को विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इस साल यह 2 सितंबर को पड़ रही है। सोमवती अमावस्या एक दुर्लभ घटना है, जो तब होती है जब अमावस्या सोमवार के साथ मेल खाती है। यह संयोग बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है, जो इसे व्रत, स्नान और दान-पुण्य के लिए आदर्श समय बनाता है। माना जाता है कि इस दिन कोई खास अनुष्ठान करने से बहुत लाभ मिलता है।
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अनुष्ठान क्या है?
सोमवार भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिव की पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो किसी नजदीकी नदी, तालाब या झील में स्नान करने और उसके बाद भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा, इस दिन तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करने से कठिन समय खत्म होता है और समृद्धि आती है। इस दिन पूर्वजों को याद करना और दान-पुण्य करना भी महत्वपूर्ण लाभ देता है। सूर्य देव को जल चढ़ाना और पवित्र "ओम" का जाप करना अन्य अभ्यास हैं जो आशीर्वाद और कल्याण लाते हैं।
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सोमवती अमावस्या कब है?
सोमवती अमावस्या चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दौरान होती है और यह हमेशा सोमवार को पड़ती है। हिंदू परंपरा में इस अमावस्या का समय बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल, सोमवती अमावस्या 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे शुरू होगी और 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे समाप्त होगी। इस सोमवती अमावस्या की एक खास बात यह है कि यह दो महत्वपूर्ण योगों- शिव योग और सिद्धि योग के साथ मेल खाती है। माना जाता है कि इन योगों के दौरान पूर्वजों को याद करना और दान-पुण्य करना आशीर्वाद लाता है और ईश्वर की निरंतर कृपा सुनिश्चित करता है।
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