शरद पूर्णिमा: शारद पूर्णिमा पर चाँद की रोशनी में क्यों रखा जाता है दूध-पौआ, जानें इसके धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Trainee | Monday, 14 Oct 2024 07:29:02 PM
Sharad Purnima: Why is milk and paua kept in the moonlight on Sharad Purnima, know its religious and scientific importance

शरद पूर्णिमा 2024: शरद पूर्णिमा को सनातन धर्म में एक विशेष पर्व माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा, भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है।

शरद पूर्णिमा का उत्सव 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। प्रसिद्ध ज्योतिषी और टैरोट कार्ड रीडर नितिका शर्मा के अनुसार, हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शारद पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आकाश से अमृत की बूँदें बरसती हैं।

शरद पूर्णिमा पर चाँद की निकटता
शरद पूर्णिमा के दिन चाँद पृथ्वी के सबसे करीब होता है। अंतरिक्ष में सभी ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चाँद की किरणों के माध्यम से धरती पर आती है।

दूध-पौआ रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा पर दूध-पौआ या खीर बनाने और उसे खुली आकाश में पूर्णिमा की चाँदनी में रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि चाँद की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। इस कारण खीर अमृत के समान बन जाती है, जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

शरद पूर्णिमा 2024 मुहूर्त
शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा: 16 अक्टूबर 2024
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2024, 8:45 PM
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024, 4:50 PM
शरद पूर्णिमा 2024 में चाँद उगने का समय
इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन चाँद 5:10 PM पर उगेगा। जो लोग उपवास रखना चाहते हैं, वे 16 अक्टूबर को उपवास रख सकते हैं और शाम को चाँद की पूजा कर सकते हैं।

शरद पूर्णिमा पूजन विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में गंगा जल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
एक लकड़ी के चबूतरे पर लाल वस्त्र बिछाकर उसे गंगा जल से शुद्ध करें।
माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उसे लाल चूनरी पहनाएं।
देवी लक्ष्मी की पूजा लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप, सुपारी आदि से करें। इसके बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
पूजा के समापन पर आरती करें। शाम को माता देवी और भगवान विष्णु की फिर से पूजा करें और चाँद को अर्घ्य अर्पित करें।
चावल और गाय के दूध से बनी खीर चाँदनी में रखें। मध्यरात्रि को देवी लक्ष्मी को खीर अर्पित करें और सभी परिवार के सदस्यों को प्रसाद के रूप में दें।
कोजागरी पूर्णिमा का महत्व
शारद पूर्णिमा को कई हिस्सों में कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में इस पर्व को बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। सही पूजा करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

श्री कृष्ण की लीला
एक पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने शारद पूर्णिमा के दिन महा रास की रचना की थी। इस दिन चाँद की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग अर्पित किया जाता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी लक्ष्मी का जन्म शारद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। इस दिन को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जो लोग रातभर जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें धन और समृद्धि की बरसात होती है।
इस दिन चाँद अपनी पूर्णता पर होता है और चारों दिशाओं से आने वाली रोशनी धरती को दूधिया प्रकाश में नहला देती है।

 

 


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PC - AMAR UJALA 



 


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