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pc: tv9hindi
हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं। शनि की चाल सभी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। 30 जून 2024 को शनि कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे, यानी शनि देव पीछे की ओर चलेंगे। इस उल्टी चाल को आमतौर पर अशुभ माना जाता है।
शनि कब वक्री होंगे?
शनि 30 जून को दोपहर 12:35 बजे अपनी पसंदीदा राशि कुंभ में वक्री चाल शुरू करेंगे। यह वक्री अवधि 139 दिनों तक चलेगी, जो 15 नवंबर 2024 तक चलेगी, जब शनि अपनी सीधी चाल फिर से शुरू करेंगे। शनि की वक्री चाल कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है, जबकि दूसरों के लिए फायदेमंद। इसलिए, इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय सुझाए जाते हैं।
वृष, कर्क, तुला और कन्या राशि वालों को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। शनि देव की पूजा करने से सभी प्रयासों में सफलता मिल सकती है और कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है। पूजा के साथ-साथ व्यक्ति को अपने कर्मों पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि शनि कर्म के आधार पर फल देते हैं। ज्योतिष के अनुसार, शनि के वक्री होने के दौरान कुछ खास उपाय करने चाहिए।
शनि के वक्री होने के प्रभाव को कम करने के उपाय
दैनिक पाठ: शनि के प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ करें। शनिदेव के वक्री होने के दिन उनकी पूजा करें।
दीप जलाना: पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा माना जाता है कि इस अभ्यास से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
शिवलिंग अभिषेक: शिवलिंग पर प्रतिदिन जलाभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऐसा माना जाता है कि इससे शनि के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
दान: शनि के वक्री होने के दौरान दान करें। सरसों के तेल से भरी कटोरी में अपना प्रतिबिंब देखें और इसे शनि मंदिर में रख दें। प्रतिदिन काले कुत्तों की सेवा करें और शनिवार को उन्हें तेल में भीगी रोटी खिलाएं। ऐसा माना जाता है कि इस अभ्यास से शनि प्रसन्न होते हैं और उनकी वक्री गति के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
शनि देव पूजा मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।। ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
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